चौका-चूल्हा छोड़ स्टेयरिंग थाम,

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चौका-चूल्हा छोड़ स्टेयरिंग थाम,
आत्मनिर्भर बनीं इंदौर की महिलाएं

छाया : नॉकसेंस डॉट कॉम

इंदौर। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में परिवहन विभाग और आईटीआई नंदा नगर की संयुक्त पहल रंग ला रही है। घर की चारदीवारी में सीमित रहने वाली सैकड़ों महिलाएं आज आत्मविश्वास के साथ सड़कों पर ऑटो और ई-रिक्शा चला रही हैं। पिछले पांच वर्षों में कुल 469 महिलाओं ने ड्राइविंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर n सिर्फ लोक परिवहन के क्षेत्र में नई पहचान बनाई है, बल्कि आर्थिक तंगी से उबरकर उनके जीवन में बदलाव आ गया है। 

परिवहन विभाग की एआरटीओ अर्चना मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2021 से 2025 तक 19 चरणों में प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए, जिनमें 469 महिलाओं को निःशुल्क ड्राइविंग सिखाई गई। प्रशिक्षण में बेसिक रिपेयरिंग, ट्रैफिक नियमों की जानकारी, थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों शामिल रहे। प्रशिक्षण के बाद महिलाओं को निःशुल्क ड्राइविंग लाइसेंस भी जारी किया गया। विभाग सिर्फ ड्राइविंग सिखाने तक ही सीमित नहीं रहा गया, बल्कि महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के भी प्रयास किए। करीब 27 महिलाओं को ऑटो खरीदने के लिए 25 से 35 हजार रुपए तक की आर्थिक मदद दी गई। साथ ही बैंक से लोन की जानकारी और मार्जिन मनी दिलाने में सहयोग दिया। 

सामाजिक स्थिति में बदलाव 

यह पहल उन महिलाओं के लिए नई राह बनकर सामने आई है, जो कभी सिर्फ चूल्हा-चौका संभालती थीं। अब वही महिलाएं सड़कों पर आत्मविश्वास से गाड़ियाँ चला रही हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रही हैं। यह सिर्फ आत्मनिर्भरता नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में भी बदलाव का प्रतीक है। 

सफलता की कहानियाँ

• बबीता सोनार :  ढाई साल पहले वह दुकान चलाती थीं, जिसे निगम ने तोड़ दिया। उसी दौरान पति की नौकरी भी चली गई। घर की स्थिति अचानक बेहद खराब हो गई। एक दिन बच्चों को स्कूल छोड़ने गई तो देखा कि एक महिला ऑटो चला रही है। तभी प्रेरणा मिली और उन्होंने ड्राइविंग प्रशिक्षण लेने का निर्णय किया। आज उनके पास अपना ऑटो है, जिसे दिन में वे और रात में पति चलाते हैं। अब वे दूसरा ऑटो खरीदने की तैयारी में हैं।

नेहा महस्के : नंदा नगर निवासी गृहिणी नेहा अखबार में महिला ड्राइविंग प्रशिक्षण की खबर पढने के बाद ड्राइविंग सीखने पहुंच गई। हैवी लाइसेंस बनाया और एक माह तक ट्रेनिंग लेने के बाद ऑटो का स्टीयरिंग थामा। अब उन्होंने दो ऑटो रिक्शा खरीद लिए हैं, जिन्हें नेहा और पति जितेंद्र फरटि से दौड़ाते है। आज वह आत्मनिर्भर भी हो गई हैं। घर की आर्थिक स्थिति पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है।

दीपाली भाविस्कर  : पहले दूसरों के घरों में खाना बनाती थीं।  लॉकडाउन में काम छूटने के बाद एक अख़बार में लिपटे कागज़ पर ड्राइविंग प्रशिक्षण का विज्ञापन देखकर नया रास्ता चुना। अब वे ई-रिक्शा चला रही हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। 

आवेदन की प्रक्रिया 

आईटीआई नंदा नगर स्थित शासकीय ड्राइवर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रभारी निखिल पंडित ने बताया कि 18 से 45 वर्ष की इच्छुक महिलाएं आधार कार्ड, मार्कशीट और बीपीएल कार्ड के साथ आवेदन कर सकती हैं। प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए महिला का साक्षर होना आवश्यक है। हर महीने प्राप्त आवेदनों में से जरूरतमंद महिलाओं का चयन किया जाता है। 

सन्दर्भ स्रोत : डीबी स्टार (दैनिक भास्कर)

सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क 

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