शिक्षक दिवस 2025 : दमोह की शीला पटेल

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शिक्षक दिवस 2025 : दमोह की शीला पटेल
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित

भोपाल। शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा देशभर के उत्कृष्ट शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस वर्ष मध्यप्रदेश से दमोह की शीला पटेल को यह गौरव प्राप्त हुआ। इसके साथ ही मंदसौर की डॉ. सुनीता गोधा, रतलाम की विनीता ओझा और राजगढ़ की डॉ. सरिता शर्मा को राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन शिक्षकों ने शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार कर समाज को नई दिशा देने का कार्य किया है।

शीला पटेल – खेल-खेल में शिक्षा की प्रेरणा 

शासकीय प्राथमिक शाला देवरान टपरिया (दमोह) की शिक्षिका शीला पटेल को उनकी रचनात्मक शिक्षण शैली के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने बच्चों को गीत, कहानी और नाटक के जरिए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान सिखाती हैं। उन्होंने गांव की गलियों में सीखने के केंद्र बनाए। महिलाओं को शिक्षित करने के लिए छुट्टियों में कक्षाएं लीं। कम लागत वाली शैक्षणिक सामग्री विकसित कर बच्चों की रुचि जगाई। 

डॉ. सुनीता गोधा – सामाजिक सरोकार से जुड़ी शिक्षिका 

मंदसौर जिले की डॉ. सुनीता गोधा को उनके सतत योगदान के लिए राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान मिला है। उन्होंने कन्या शिक्षा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने जरूरतमंद छात्राओं को स्वेटर, जूते, बैग, पोषक आहार आदि उपलब्ध कराए। साथ ही नुक्कड़ नाटक और जनजागरूकता अभियानों से शिक्षा की अलख जगाई। बेटी बचाओ, स्वच्छता, अक्षय ऊर्जा, डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों में सक्रिय योगदान दिया। 

डॉ. सरिता शर्मा – व्याकरण वाटिका से आनंददायी हिंदी शिक्षा

शासकीय हाई स्कूल सारंगपुर (राजगढ़) की शिक्षिका डॉ. सरिता शर्मा ने बच्चों के लिए एक अनोखी व्याकरण वाटिका बनाई। हिंदी व्याकरण को खेल-खेल में पढ़ाने की अनूठी विधि अपनाई। कचरे से उपयोगी सामग्री बनाकर रचनात्मक शिक्षण किया। विद्यार्थियों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक किया और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से पढ़ाई में रुचि जगाई।

विनीता ओझा – बाछड़ा समुदाय की बेटियों को नई राह 

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जाबरा (रतलाम) की शिक्षिका विनीता ओझा ने बाछड़ा समुदाय की बेटियों को देह व्यापार जैसी कुप्रथा से बचाकर शिक्षा की ओर मोड़ा। उन्होंने परिवारों से गुप्त संपर्क कर शिक्षा का महत्व समझाया। उनकी प्रेरणा से कई बालिकाएं कॉलेज पहुंचीं और कई ने स्वरोजगार अपनाया। समाज सुधार में उनके इस अमूल्य योगदान के लिए उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न समाचार पत्र

सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क

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