मद्रास हाईकोर्ट : गोद लिए हुए बच्चे के

blog-img

मद्रास हाईकोर्ट : गोद लिए हुए बच्चे के
जैविक रिश्तेदार संपत्ति के अधिकारी नहीं

मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी गोद लिए हुए बच्चे के जैविक माता-पिता या अन्य रिश्तेदार उसके दत्तक परिवार से मिली संपत्ति के अधिकारी नहीं हो सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू अडॉप्टेशन एंड मेंटेनेंस एक्ट 1956 के तहत दत्तक परिवार की संपत्ति पर दावा नहीं किया जा सकता। जस्टिस जीके इलांथिराइयान ने कहा था कि धारा 12 में स्पष्ट किया गया है कि जब किसी को गोद ले लिया जाता है तो उसके जन्म देने वाले परिवार से संबंध खत्म हो जाते हैं।

उन्होंने कहा था, गोद लिए गए बच्चे की मौत के बाद भी उसके रिश्तेदार उसके दत्तक-मां बाप की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने कहा, गोद लेने की तारीख पर ही उसके संबंध अपने जैविक परिवार से खत्म हो गए थे। वहीं वे सारे अधिकार दत्तक परिवार को मिल गए।

दरअसल कोर्ट वी सेक्थिवेल की एक रिट पिटिशन पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में कहा गया था उन्हें अपने चचेरे भाई से रिलेशन का सर्टिफिकेट दिया जाए ताकि वह उनकी संपत्ति पर दावा कर सकें। चचेरे भाई की मौत 2020 में हो गई थी। वहीं सेक्थिवेल ने चचेरे भाई के जाविक परिवार के दावे को चुनौती भी दी थी। सेक्थिवेल के मुताबिक उनके दादा-दादी के दो बेटे थे। एक का नाम रामासामी और दूसरे का नाम वारनावासी था। इसके अलावा उनकी एक बेटी थी जिनका नाम लक्ष्मी था।

सेक्थिवेल वारनावासी के बेटे हैं। वहीं रामासामी और उनकी पत्नी का कोई बच्चा नहीं था। 1999 में उन्होंने कोट्टरावेल नाम के एक लड़के को गोद ले लिया। थोड़े दिनों के बाद रामासामी और उनकी पत्नी की मौत हो गई। कुछ साल बाद ही 2020 में कोट्टारवेल की भी मौत हो गई। सक्थिवेल के दो और चचेरे भाई हैं। वहीं उनकी बुआ लक्ष्मी की एक बेटी है। कोट्टारवेल की प्रॉपर्टी पर दावा करने के लिए वे सभी कोर्ट पहुंचे थे। वहीं कोट्टारवेल के जैविक रिश्तेदारों ने भी दावा कर दिया। वहीं कोर्ट ने कहा कि गोद लिए गए कोट्टारवेल के जैविक परिवार से सारे संबंध उसी वक्त खत्म हो गए थे जब उन्हें गोद लिया गया था।

संदर्भ स्रोत : लाइव लॉ

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



केरल हाईकोर्ट : केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही , नि:संतान बुजुर्ग के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी

हाईकोर्ट ने मेंटीनेंस ट्रिब्युनल और अपीलीय ट्रिब्युनल का फैसला खारिज करते हुए कहा कि अपीलकर्ता महिला बुआ सास (पति की बुआ...

दिल्ली हाईकोर्ट : यातना की सही तारीख न बताने
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : यातना की सही तारीख न बताने , का मतलब यह नहीं कि घरेलू हिंसा नहीं हुई

पत्नी 'आर्थिक शोषण' के कारण मुआवज़ा पाने की हकदार है, अदालत ने पत्नी और नाबालिग बच्चे को क्रमशः 4,000 रुपये प्रति माह भर...

बॉम्बे हाईकोर्ट : पति के दोस्त के खिलाफ
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : पति के दोस्त के खिलाफ , नहीं हो सकता 498A का मुकदमा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि पति के मित्र पर क्रूरता के लिए IPC की धारा 498 A के तहत कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। क्यो...

इलाहाबाद हाईकोर्ट -लखनऊ बैंच :  विवाहित
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट -लखनऊ बैंच : विवाहित , महिला से शादी न करना अपराध नहीं

हाईकोर्ट ने कहा- विवाहिता के प्रेमी पर दुराचार का आरोप नहीं, निचली अदालत का फैसला सही

हिमाचल हाईकोर्ट : तीसरे बच्चे की मां
अदालती फैसले

हिमाचल हाईकोर्ट : तीसरे बच्चे की मां , बनने के बाद भी मातृत्व अवकाश का हक

मामले में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक स्टाफ नर्स ने हाईकोर्ट में मातृत्व अवकाश को लेकर रिट याचिका दाखिल की थी।