भोपाल की जाह्नवी, श्रुति और भावना को मिलेगा विक्रम अवॉर्ड

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भोपाल की जाह्नवी, श्रुति और भावना को मिलेगा विक्रम अवॉर्ड

मप्र सरकार ने राज्य स्तरीय शिखर खेल पुरस्कार वर्ष 2023 की घोषणा कर दी है। इन पुरस्कारों में 12 खिलाड़ियों को विक्रम, 15 को एकलव्य, 3 को विश्वामित्र और 1 को लाइफटाइम अचीवमेन्ट पुरस्कार दिया जाएगा। ख़ास बात यह है कि इस सूची में विक्रम पुरस्कार के लिए 8 और एकलव्य पुरस्कार के लिए 5 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। इसमें राजधानी की दो खिलाड़ी जाह्नवी श्रीवास्तव को कयाकिंग-कनोइंग में और श्रुति यादव को बॉक्सिंग के लिए विक्रम पुरस्कार के लिए चुना गया।

इन्हें मिलेगा पुरस्कार 

भूमि बघेल, क्याकिंग-केनोइंग- महेश्वर, पूजा दांगी, फेंसिंग- राजगढ़, नेहा ठाकुर, सेलिंग- देवास और उज्जैन की प्रियांशी प्रजापत – कुश्ती को एकलव्य पुरस्कार 2023 के लिए वहीं विक्रम पुरस्कार-2023 जाहन्वी श्रीवास्तव, क्याकिंग-केनोइंग- भोपाल, रागिनी मार्कों, तीरंदाजी- जबलपुर, शिवानी पवार, कुश्ती-छिन्दवाड़ा, श्रुति यादव, बॉक्सिंग-भोपाल, यामिनी मौर्य, जूडो-सागर, नीलू डांडिया, हॉकी-मंदसौर, रूबिना फ्रांसिस, शूटिंग- जबलपुर और भावना डेहरिया, माउंट एवरेस्ट- छिंदवाड़ा को प्रदान किया जाएगा।

श्रुति यादव : 2015 से अंतरर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत

श्रुति को बचपन में उनके पिता ने मुक्केबाजी सीखने के लिए प्रेरित किया, लेकिन चोट लगती थी तो मां खेलने से मना कर देती थीं। बाद में उनका प्रदर्शन देखकर मां भी उन्हें प्रोत्साहित करने लगीं। उन्होंने अपने अंतरर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत 2015 जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग से की थी। श्रुति राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मुक्केबाजी की स्पर्धाओं में अनेक पदक जीत चुकी हैं।

जाह्नवी श्रीवास्तव : एकलव्य पुरस्कार भी मिल चुका

जाह्नवी 2012 तक स्वीमिंग करती थी, लेकिन 2014 में स्प्रिंट की नेशनल चैंपियनशिप देखने के बाद इस खेल में रुचि जागी और उन्होंने भोपाल स्थित कयाकिंग केनोइंग एसोसिएशन के क्लब में दाखिला लिया। वर्ष 2015 में एक जूनियर इंडिया कैंप में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने अच्छे से जाना कि केनो सलालम क्या है। 2016 में इंडिया की तरफ से थाईलैंड में आयोजित वुमन केनो कैंप में भाग लिया। जब पहला इंटरनेशनल कैंप किया तो एक्सपोजर मिला और इस खेल की बारीकियों को समझा। उन्हें 2018 में एकलव्य पुरस्कार भी मिल चुका है। उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जैसे ओलिपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे आयोजनों में देश का प्रतिनिधित्व करना है।

भावना डेहरिया : साहसिक खेलों को बढ़ावा देना है लक्ष्य

छिंदवाड़ा की रहने वाली भावना डेहरिया ने 2019 में माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) फतह कर इतिहास रचा था। उन्होंने अलग-अलग महाद्वीपों की ऊंची चोटियों पर भी सफल चढ़ाई की है। वे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड एंबेसडर भी हैं। भावना भारत में पर्वतारोहण और साहसिक खेलों को बढ़ावा देना चाहती है, ताकि अधिक युवा इस क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें।

प्रियांशी प्रजापत : पिता ने दी थी ट्रेनिंग

बचपन से पिता को देख व उनसे सीख प्रियांशी आज इस मुकाम पर पहुंची। दरअसल उनके पिता मुकेश पहलवान राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। उन्होंने अपनी तीनों बेटियों सृष्टि, नूपुर, प्रियांशी को अपने ही पुश्तैनी अखाड़े में कुश्ती का प्रशिक्षण दिया है। राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी 12 वर्षीय बिटिया सृष्टि की ब्रेन हेमरेज के कारण मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने दोनों बेटियों का हौसला टूटने नहीं दिया। नूपुर और प्रियांशी दोनों आज राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही हैं। प्रियांशी बताती है मैं हमेशा गोल्ड जीतने का सपना लेकर में मैदान में उतरती हूं। वे वर्ष 2018 में सेनापती में हुई नेशनल चैंपियनशिप एक तथा 2019 के एशियन चैंपियनशिप में 2 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। 2019 में ही हुए खेलो इंडिया में ब्रॉन्ज मेडल तो 2020 के खेलो इंडिया में गोल्ड जीता था। उन्होंने 2021 में गोल्ड तथा 2022 में ब्रॉन्ज़ मेडल तथा नेशनल कुश्ती चैम्पियनशिप 2024 गोल्ड मेडल अपनी नाम किया।

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