इंदौर की अदिति को यूएस की यूनिवर्सिटी

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इंदौर की अदिति को यूएस की यूनिवर्सिटी
से मिली 4 करोड़ की स्कॉलरशिप 

छाया : दैनिक भास्कर

इंदौर की अदिति राजवैद्य को अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (Cornell University) से 4 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप (Scholarship) मिली है, जो सेट (SAT) में 1600 में से 1530 अंक प्राप्त करने के बाद मिली है। इंदौर से अब तक की यह सबसे बड़ी स्कॉलरशिप बताई जा रही है।

अदिति ने हाल ही में फीजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं की एग्जाम दी है। अब वे यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (mechanical Engineering) में बीटेक करने जाएंगी। इतनी बड़ी राशि की यह इंदौर की पहली स्कॉलरशिप बताई जा रही है। बचपन से ही साइंस और टेक्नोलॉजी (Science and Technology) में रुचि रखने वाली अदिति ने सेट (स्कॉलास्टिक असेसमेंट टेस्ट- Scholastic Assessment Test) में 1600 में से 1530 अंक प्राप्त किए हैं। अंग्रेजी में 740 और गणित में 790 अंक मिले।

9वीं कक्षा के दौरान कुछ दिनों के लिए अमेरिका गई अदिति  में को वहां ऑटोमोबाइल सेक्टर को करीब से जानने का मौका मिला। यहीं से ऑटोमोबाइल सेक्टर में कॅरियर (Career Automobile Sector) बनाने की इच्छा शुरू हुई। तब से उन्होंने ठान लिया था कि इसी क्षेत्र में आगे बढ़ना है।

अदिति ने अपनी तैयारी को और मजबूत करने के लिए 11वीं क्लास में ही एमआईटी ग्रेजुएट (MIT Graduate) के साथ मिलकर रिन्युएबल एनर्जी एंड विंड टर्बाइंस (Renewable Energy and Wind Turbines) विषय पर रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किया है। इस शोध कार्य (research work) से एकेडमिक और प्रेक्टिकल नॉलेज बेहतर हुआ। अदिति ने बताया कि इंदौर की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में भी इंटर्नशिप की। इस दौरान इंडस्ट्री के व्यावहारिक पहलुओं को समझा और सीखा कि कैसे नई तकनीकों को विकसित किया जाता है। इन कारणों से यूनिवर्सिटी में एडमिशन और स्कॉलरशिप मिलना आसान हुआ। अदिति एमरल्ड हाईट्स इंटरनेशनल स्कूल में एडिटोरियल हेड भी रही हैं।

अदिति के पिता मयूर राजवैद्य साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ हैं और मां तरू राजवैद्य हाउसवाइफ। इसके साथ ही शहर को और उपलब्धि मिली हैं। यहां की इशिता जैन को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और अस्मि मानुधने को ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में चयन हुआ है।

फॉरेन एजुकेशन के एक्सपर्ट प्रशांत हेमनानी ने बताया कि इतनी स्कॉलरशिप शहर के बहुत कम स्टूडेंट्स को मिलती रही है। हर साल फॉरेन एजुकेशन के लिए शहर से स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है। जो स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ इंर्टनशिप कर रहे हैं उन्हें बाहर वरीयता मिल रही है। बाहर के देशों में पढ़ाई के लिए जाने वाले स्टूडेंट्स की बात करें तो एमबीबीएस को छोड़कर बाकी में हर साल करीब 2800 स्टूडेंट्स जा रहे हैं। इसमें अमेरिका में हर साल 1 हजार से 1100 स्टूडेंट्स जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में हर साल 200 से 250 स्टूडेंट्स पहुंच रहे हैं। ब्रिटेन में यह संख्या 800 के आसपास है। यूरोप में अलग-अलग देशों में करीब 500 स्टूडेंट्स ने रुख किया। कनाडा में काफी स्टूडेंट्स जाते रहे हैं लेकिन अब यह संख्या 50 के आसपास रह गई है।

सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर

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