छाया : वर्ल्ड रिकार्ड्स इण्डिया
सुबबूल (ल्यूसेना ल्यूकोसेफाला) की फलियों को आमतौर पर बेकार माना जाता है, लेकिन भोपाल की कलाकार दुर्गा उन्हाले ने कला के माध्यम से इन्हें उपयोगी बना दिया है। वे पेड़ से निकली सूखी फलियों का उपयोग करके शानदार कलाकृतियां बनाती हैं। पिछले 40 साल से अपने इस हुनर को लगातार नया आकार दे दुर्गा की कलाकृतियां देखकर लोग दंग रह जाते हैं। वे अब तक सुबबूल के पेड़ की फलियों से 550 से अधिक कलाकृतियां बना चुकी हैं हैं, जो देखने में अद्भुत हैं। उनकी इस कला को देखते हुए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है।
ऐसे हुई शुरुआत
दुर्गा को बचपन से ही कलाकृतियों का शौक था। शादी होकर भोपाल आने के बाद तो भेल के क्वार्टर में रहने लगीं। इसके आसपास सुबबूल के बड़ी संख्या में पेड़ लगे थे। सुबबूल की फली को जब उन्होंने अलग-अलग तरह से मोड़कर देखने के बाद विचार आया कि इन्हें डार्क और लाइट शेड का उपयोग कर कुछ बनाया जा सकता है। फिर इससे कलाकृतियां बनाने की शुरूआत की और करीब 5 साल की मेहनत के बाद कलाकृतियां बनाने में फिनिशिंग आ पाई। शुरूआत में बनाई गई कलाकृतियों को लोगों ने सराहा तो उत्साह बढ़ता गया। इसके बाद इन पेड़ों की फलियों से पहले छोटी-छोटी कलाकृतियां बनाईं और फिर बड़े आकार की।" उन्होंने शुरुआत में बबूल की पत्तियों से भगवान गणेश को उकेरा था। इसकी खास बात यह है कि यह पत्तियां अब तक वैसे की वैसे ही रखी हैं।
प्रतिदिन 5 -6 घंटे काम करने के बाद 3 माह में बनती है कलाकृति
इन फलियों से कलाकृतियां बनाना आसान काम नहीं है। एक दिन में 5 से 6 घंटे काम किया जाए तो एक कलाकृति बनाने में 3 माह का समय लग जाता है। फलियों को चयन करना और इसके बाद इन्हें पानी में भिगोकर आकार देना होता है, क्योंकि सूखने पर ये टूट जाती हैं। उनका मानना है कि प्रकृति की हर चीज बहुत सुंदर है। दुर्गा ने भोपाल और देशभर की दूसरी सांस्कृतिक जगहों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया है, जिससे उन्हें कई पुरस्कार और लोगों की सराहना भी मिली हैं।
सन्दर्भ स्रोत : हरिभूमि
सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क
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