इलाहाबाद हाईकोर्ट : खाताधारक के वैवाहिक

blog-img

इलाहाबाद हाईकोर्ट : खाताधारक के वैवाहिक
विवाद में हस्तक्षेप नहीं कर सकते बैंक

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद के चलते पत्नी के अनुरोध मात्र पर ही उसके पति की कंपनी का खाता बैंक फ्रीज नहीं कर सकता। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह टिप्पणी कोटक महिंद्रा बैंक शाखा द्वारा कंपनी में निदेशक याची के खाते को एकतरफा फ्रीज किए जाने का मामला निस्तारित करते हुए की। साथ ही कोर्ट ने खाता सीज करने संबंधी बैंक के आदेश को रद करते हुए याची राजीव कुमार अरोड़ा को गाजियाबाद स्थित बैंक शाखा में खाते का संचालन करने देने का निर्देश दिया है। निदेशक की पत्नी के अनुरोध पर बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया था। 

लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है

खंडपीठ ने माना कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अनुसूचित निजी बैंक के खिलाफ ऐसी रिट याचिका विचारणीय है जो किसी व्यक्ति/कंपनी को बैंक से अपना पैसा निकालने से रोकती है, क्योंकि यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक को दिए लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन है। खंडपीठ ने कहा कि बैंक खाताधारक के वैवाहिक विवाद में खुद को न्यायिक भूमिका में नहीं रख सकता। अगर अनुसूचित निजी बैंक में जमा राशि को अनधिकृत रूप से रोक लिया जाता है तो जमाकर्ता बैंकिंग कंपनी में रुचि व विश्वास खो सकता है। यह स्पष्ट रूप से बैंकिंग गतिविधि के घोषित उद्देश्य के विपरीत होगा।

कंपनी के खाते को फ्रीज करने का दिया था आवेदन

मुकदमे से जुड़े तथ्यों के अनुसार, कंपनी में 41.14 प्रतिशत शेयर धारक गाजियाबाद निवासी निदेशक (याची) का वैवाहिक विवाद था। पत्नी ने आपराधिक शिकायत दर्ज कराई। साथ ही वैवाहिक विवाद लंबित रहने के दौरान याची की कंपनी के खाते को फ्रीज करने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक (प्रतिवादियों में एक) में आवेदन दिया। बैंक ने याची की कंपनी के खातों को फ्रीज कर दिया और पत्नी से आंतरिक विवादों को सुलझाने की सलाह दी। पत्नी ने बैंक को खातों को डी-फ्रीज करने से रोकने के लिए सिविल मुकदमा भी दायर किया। याची ने इस पर संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट की शरण ली।

खातों को डी-फ्रीज करने की प्रार्थना की और अनुरोध किया कि बैंक को उसके खाते से निकासी की अनुमति का निर्देश दिया जाए। न्यायालय ने माना कि बैंक के लिए याची को पैसे निकालने से रोकने की कोई कानूनी अनिवार्यता नहीं थी। साथ ही प्रतिवादी पत्नी के अनुरोध को स्वीकार करने का अधिकार भी नहीं है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी , करने पर बलात्कार का आरोप किया रद्द

कहा- आरोपी से पीड़िता ने रचाई शादी, अब बच्चे के साथ जी रहे खुशहाल जीवन.अपराध सिद्ध होने की कम संभावना

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता , से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार

कोर्ट ने कहा- बेटी की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता पिता

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दिया तो लौटना होगा सारा दहेज

तलाक से जुड़े केस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : पत्नी की बेवफाई के कारण पति , को गुजारा भत्ता देने से मिल सकती है छूट

कोर्ट ने कहा कि उपरोक्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य, संभावनाओं की अधिकता के आधार पर, 'व्यभिचार में रहने' के तथ्य को स्थापित कर...

राजस्थान हाईकोर्ट : पेंशन पर दो पत्नियों का
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : पेंशन पर दो पत्नियों का , दावा, नॉमिनी होने से कोई वारिस नहीं बनता

कोर्ट ने माना कि विवाह की वैधता और 'असली पत्नी' कौन है। यह तय करना हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके लिए गवाह...

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : लिव-इन
अदालती फैसले

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : लिव-इन , रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को सुरक्षा का अधिकार

महिला पहले से शादीशुदा थी और उसका एक बच्चा भी है, जबकि पुरुष अविवाहित है। दोनों ने बताया कि वे अपनी मर्जी से साथ रह रहे...