​​​​​​​छोटे पर्दे पर कमाल मध्यप्रदेश की प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों का

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​​​​​​​छोटे पर्दे पर कमाल मध्यप्रदेश की प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों का

टेलीविजन, सिनेमा और रंगमंच

• राजीव सक्सेना

देश का दिल माने जाने वाले मध्यप्रदेश ने साहित्य, कला और संस्कृति सम्बन्धी उपलब्धियों में भी कीर्तिमान बनाये हैं. प्रदेश की नारी शक्ति ने, जहां अन्य क्षेत्रों में प्रतिभा का सफल प्रदर्शन किया है, वहीं कला से जुड़ी विविध विधाओं में, विशेषकर अभिनय, गीत, संगीत, नृत्य आदि में देश की मुख्यधारा तक बढ़त बनाई है. हिंदी भाषी मध्यप्रदेश से हिंदी सिनेमा में जहां श्वेत-श्याम फिल्मों की मशहूर नायिका वनमाला से लेकर अस्सी के दशक की भावप्रवण नायिका जया भादुड़ी सारीखी कलाकार दी हैं, वहीं टेलीविज़न के छोटे पर्दे पर भी एक से बढ़कर एक कामयाब अभिनेत्रियां दी हैं.

हमारे यहां टेलीविज़न या छोटे पर्दे पर सूचना और मनोरंजन की शुरुआत यूं तो सबसे पहले सातवें दशक के दौरान बम्बई में दूरदर्शन केंद्र से अल्पसमय के प्रसारण के साथ हो चुकी थी. लेकिन देश में दूरदर्शन प्रसारण का विस्तार राजधानी दिल्ली में सन 1982 के एशियाई खेलों के आयोजन के साथ हुआ. देश के लगभग सभी हिस्सों में लो पावर ट्रांसमिशन टॉवर्स के ज़रिये दूरदर्शन का राष्ट्रीय प्रसारण प्रारम्भ हुआ. कुछ ही सालों बाद रंगीन टेलीविज़न सेट्स के माध्यम से दूरदर्शन का सरकारी प्रसारण देश के घर-घर तक पहुँच गया. जल्दी ही खेल आयोजनों और नियमित समाचारों के प्रसारण के अलावा मशहूर फिल्मकारों द्वारा भव्य स्तर पर बनाये गए धारावाहिक टीवी शो दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब होने लगे और इनकी लोकप्रियता में क्रमशः इज़ाफ़ा होता गया.

आठवें दशक के उत्तरार्ध में, पौराणिक ग्रन्थ ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ के साथ ही सुप्रसिद्ध भारतीय लेखकों की रचनाओं पर केंद्रित धारावाहिक कार्यक्रम बनने लगे जिनमें रंगमंच से जुड़े देश भर के कलाकारों को अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के अवसर मिलने लगे. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से निर्मित बहु कला केंद्र भारत भवन में प्रारंभ हुए कलाकारों को अभिनय के प्रशिक्षण से प्रदेश की युवा प्रतिभाओं को खासा लाभ मिला. यहां से प्रशिक्षित कलाकारों को दूरदर्शन के तमाम टेलीविज़न शोज में काम मिलने लगा. रंगमंच से संबंधित निजी संस्थाओं की गतिविधियां भी प्रदेश में इस बीच तेज होती गईं.

मध्यप्रदेश की महिला कलाकारों की सहभागिता इसी बीच दूरदर्शन पर शुरू हुईं. दूरदर्शन के मेगा सीरियल ‘बुनियाद’ में भारत भवन के रंगमंडल से प्रशिक्षित अभिनेत्री प्रभा माथुर शर्मा को संभवतः सबसे पहला अवसर मिला. उन्हें लाला वृषभान का किरदार निभाने वाले अभिनेता विजयेन्द्र घाटगे और वीराँवाली की भूमिका कर रहीं एक्ट्रेस किरण जुनेजा सिप्पी की सहायिका का 26 एपिसोड्स से ज़्यादा का रोल दिया गया. प्रभा शर्मा ने अपने अभिनय से निर्माता निर्देशक रमेश सिप्पी को प्रभावित किया. उन्होंने प्रभा जी को अपनी फीचर फ़िल्म ‘भ्रष्टाचार’ में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका दी. प्रभा जी ने कई सारे धारावाहिकों में काम करते हुए सिनेमा और विज्ञापन फिल्मों में डबिंग के क्षेत्र में अपना सफल करियर बनाया.

रंगमंडल भारत भवन में उनकी साथी अभिनेत्रियों आभा परमार और माधुरी संजीव दीक्षित को भी छोटे पर्दे पर अभिनय के मौक़े हासिल हुए. आभा जी आज भी अनेक टीवी शोज में महत्वपूर्ण भूमिकाएं कर रहीं हैं और हिंदी फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों की कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में जानी जाती हैं. माधुरी संजीव दीक्षित डबिंग के साथ ही टीवी शोज़ में एक्टिंग भी कर रहीं हैं. सहारा टीवी पर ‘चाचा चौधरी ‘ का किरदार कर रहे एक्टर रघुवीर यादव की पत्नी की उल्लेखनीय भूमिका में माधुरी जी का अभिनय दर्शकों ने सराहा.

मध्यप्रदेश के धार जिले के जोशी परिवार की बेटी और बाद में भोपाल के अग्निहोत्री परिवार की बहू पल्लवी जोशी यूं तो सिनेमा के बड़े पर्दे पर बतौर बाल कलाकार मशहूर हो चुकी थीं लेकिन छोटे पर्दे पर, सुप्रसिद्ध लेखक वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यास पर आधारित धारावाहिक  ‘मृगनयनी’ के एक ख़ास चरित्र के ज़रिये उनका पदार्पण हुआ. लेखक रांगेय राघव के उपन्यास पर आधारित दूरदर्शन धारावाहिक ‘कब तक पुकारूँ’ के अलावा पल्ल्वी जोशी ने तकरीबन डेढ़ दर्ज़न टीवी कार्यक्रमों में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज़ कराई. निजी चैनल जी टीवी के संगीत प्रधान रियलिटी शो ‘अंताक्षरी’ की सफल होस्ट्स में से एक पल्लवी जोशी का नाम भी लिया जाता है. वे एक समय टीवी क्वीन के रूप में मशहूर थीं.

दूरदर्शन के लोकप्रियता के दौर में भोपाल के आकाशवाणी केंद्र के नाटकों और विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय हिस्सेदारी करने वाली कलाकार, लेखिका ऊषा दीक्षित, कहानियों पर आधारित टीवी शो ‘एक कहानी’ की पटकथा लेखक बतौर पहचानी गईं. बाद में ऊषा जी ने छोटे पर्दे पर दर्ज़नों टीवी शो के अलावा लोकप्रिय धारावाहिक ‘बालिका वधु’ तक की पटकथा – संवाद लिखकर प्रदेश का मान बढ़ाया.जबलपुर निवासी भावना व्यास भी धारावाहिक कार्यक्रमों की पटकथा लेखकों में एक मशहूर नाम है.

दूरदर्शन की प्रतिस्पर्धा में प्रथम निजी एंटरटेनमेंट चैनल थी जी टीवी, इसके सबसे पहले मेगा सीरियल ‘तारा’ में निर्देशक विनता नंदा ने सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी की छोटी बेटी नेहा को एक खास रोल के लिए चुना. नेहा बाद में कई सारे टीवी धारावाहिकों में अभिनय करने के साथ ही पिता की कृतियों के टीवी रूपान्तरण के कार्य से जुड़ गईं. शरद जी की व्यंग्य कथा पर आधारित सब टीवी के धारावाहिक ‘लापतागंज’ में नेहा जी का सहयोग उल्लेखनीय है.

दूरदर्शन के समाचार उसके शुरुआती दिनों में सबसे ज्यादा वजन और महत्व रखा करते थे. तब समाचार चैनलों की आमद नहीं हुई थी और दूरदर्शन दृश्य श्रव्य का एकमात्र माध्यम था. भोपाल की सलमा सुल्तान ने राष्ट्रीय समाचार के तहत सौम्य समाचार वाचक की अनन्य पहचान स्थापित की. बालों में एक तरफ करीने से फूल लगाए हुए सलमा जी का समाचार पढ़ने का अपना एक अल्हदा अंदाज़ था. दूरदर्शन पर शुरुआती दौर में ही बांग्ला लेखक बिमल मित्र के नावेल ‘ आसामी हाजिर’ पर एक टीवी सीरीज बनाई निर्माता राकेश चौधरी ने. ‘मुजरिम हाजिर’ शीर्षक से लोकप्रिय इस सीरियल में अभिनेत्री नूतन, अभिनेता उत्पल दत्त के साथ नई नवेली नायिका के रूप में चयन किया गया मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल और उज्जैन में पली बढ़ी नवनी परिहार को. नवनी जी का अप्रतिम सौंदर्य और अभिनय प्रतिभा का संयोग उन्हें इस क्षेत्र में निरंतर प्रगति का बायस बना. तब से अब तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

समाज में अति आधुनिकता के साथ पारिवारिक समीकरणों को तहस – नहस करने के तथाकथित उलाहने झेलने वाली  टीवी शो निर्माता एकता कपूर के प्रथम कार्यक्रम जी टीवी पर ‘ हम पांच’ में उज्जैन निवासी अरुणा संगल की भूमिका बेहद चर्चित रही. मशहूर फिल्मकार अम्बरीष संगल की पत्नी अरुणा जी का इस हास्य सीरियल में कहा गया तकिया कलाम ‘ आंटी मत कहो न ‘दर्शकों को खूब पसंद आया. अरुणा जी ने अब तक लगभग पच्चीस टीवी शोज़ में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है.

अविभाजित मध्यप्रदेश में दूरदर्शन की शुरुआत रायपुर दूरदर्शन से तब हो चुकी थी जब स्व विद्याचरण शुक्ल, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के मंत्रिमंडल में सूचना प्रसारण मंत्री हुआ करते थे. छत्तीसगढ़ बनने के बाद मध्यप्रदेश का पहला केंद्र भोपाल में स्थापित हुआ. भोपाल की रंगमंच अभिनेत्री रश्मि चँदवास्कर, प्रीति त्रिपाठी और नीरजा बैरागी ने शुरुआती न्यूज रीडर बनने की उपलब्धि हासिल की.रश्मि जी भोपाल के एमेच्योर रंगमंच पर सर्वश्रेष्ठ अभिनय के कई सारे सम्मान प्राप्त किये. अभिनेता आलोक चटर्जी के साथ उनके नाटक ‘ नटसम्राट ‘ का मंचन देश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर हुआ. प्रीति त्रिपाठी ने भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के फ़िल्म समारोह आयोजन करने में प्रमुख भूमिका निभाई. नीरजा बैरागी, सुप्रसिद्ध कवि, राजनेता स्व बालकवि बैरागी की बहू हैं. दूरदर्शन के भोपाल केंद्र की पहली टेलीफ़िल्म, इस आलेख के लेखक की लिखी,एक महिला पत्रकार के संघर्ष की कहानी पर आधारित थी. इसकी नायिका होशंगाबाद की रहने वाली प्रीति कटारिया ने राजस्थानी फिल्मों की नायिका होने का गौरव भी अर्जित किया.

दूरदर्शन की प्रतिस्पर्धा में ज़ी टीवी के बाद अनेक निजी मनोरंजन और समाचार चैनल्स एक के बाद एक स्थापित होती गईं. मध्यप्रदेश  के तमाम जिलों से कई प्रतिभावान युवतियों ने इन चैनल्स में रचनात्मक पदों पर चयनित होकर क्रमशः अपनी बढ़त बनाई. स्टार प्लस के धारावाहिक ‘ज्योति’ से इंदौर की स्मिता वाघ ने छोटे पर्दे पर बतौर अभिनेत्री अपनी पहचान बनाई. वहीं इंदौर की ही अंकिता लोखंडे जी टीवी के सीरियल अनोखा रिश्ता से स्व सुशांत सिंह राजपूत की नायिका बतौर पहचानी गईं. भोपाल की दिव्यंका त्रिपाठी, एकता कपूर के टीवी शो ‘ ये कैसी मोहब्बतें ‘ की इशिता भल्ला के चरित्र से लोकप्रिय हुईं तो भोपाल की ही सारा खान ज़ी टीवी पर ‘बिदाई’ नामक शो की साधना की भूमिका से घर-घर में जानी पहचानी जाने लगीं.

स्टार प्लस के धारावाहिक ‘कुमकुम’ की जूही परमार उज्जैन के रंगकर्मी देवेंद्र परमार की बेटी हैं. बिग बॉस के एक सीजन की विजेता भी रही हैं. सब टीवी के धारावाहिक ‘मे आई कम इन मैडम’ से रतलाम की सपना सिकरवार ने अभिनय की सफल पारी खेली तो इंदौर की परिधि शर्मा सक्सेना ने ज़ी टीवी के ‘जोधा अकबर’ में महारानी जोधाबाई की मुख्य भूमिका अदा की. भोपाल से ऐश्वर्या खरे ने स्टार प्लस पर धारावाहिक ‘विषकन्या’  से नायिका बतौर छोटे पर्दे पर प्रवेश किया और आधा दर्ज़न से ज्यादा धारावाहिकों मे मुख्य भूमिका निभाई. वहीं भोपाल की इशिता सिंह ने ‘ इश्क का रंग सफ़ेद’ की नायिका के रूप मे अपनी आमद दर्ज़ की. इंदौर की शुभांगी अत्रे ने हास्य धारावाहिक ‘ भाभीजी घर पर हैं’ मे शिल्पा शिंदे के रीप्लेसमेन्ट के ज़रिये अपनी उपलब्धि दर्ज़ कराई. इसी धारावाहिक मैं गोरी मेम की भूमिका में उज्जैन की सौम्या टंडन ने भी अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया.

मध्यप्रदेश की इन दीवाओं के अलावा इंदौर की पूर्वा पराग, गुलकी जोशी, वैष्णवी मेक-डोनाल्ड,समीक्षा जायसवाल, भोपाल की शालिनी गुप्ता, संगीता श्रीवास्तव, उमा अय्यर, द्युति गीते आदि महिला कलाकारों की लम्बी सूची है जो आकाशवाणी, दूरदर्शन, निजी मनोरंजन और समाचार चैनल्स के साथ ही स्टेज शो, इवेंट्स आदि में अपनी अभिनय, समाचार वाचन, होस्टिंग आदि से जुड़ी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सफलता की ऊंचाइयों को स्पर्श करने के प्रयास में जुटी हुईं हैं.

© मीडियाटिक

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