वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

blog-img

वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

• सुधीर जैन, सतना

• डाक टिकटों में मप्र की महिलाएं

मात्र 22 वर्ष की उम्र में 1857 के गदर में छुड़ा दिये थे अंग्रेजों के छक्के। 

छोटे पुत्र को पीठ में बांध कर युद्ध में किया कड़ा संघर्ष।

भारत के स्वाधीन होने तक क्रांतिकारियों के लिए रहीं आदर्श।

भारतीय स्वंतत्रता संग्राम की अमर सेनानी प्रसिद्ध वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई वैसे तो झांसी की रानी थीं, परन्तु उनका निधन ग्वालियर में हुआ था। 16 नवम्बर 1835 को जन्मी महारानी लक्ष्मीबाई ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में 1857 के गदर में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे । उसी दरम्यान उन्होंने ग्वालियर किले पर भी कब्जा कर लिया था। 17 जून 1858 को प्रारंभ हुए एक युद्ध में अपने छोटे पुत्र को पीठ में बांध कर रानी ने कड़ा संघर्ष किया, परन्तु दूसरे दिन ग्वालियर किले के समीप उन्होंने वीरगति प्राप्त की ।
महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान ने उस समय तो क्रांति की ज्वाला तीव्र की ही, साथ ही भारत के स्वाधीन होने तक भी वे क्रांतिकारियों की आदर्श रहीं। आज भी देश का बच्चा-बच्चा उन्हें नमन् करता है ।

1857 के गदर के सौ साल बाद भारतीय स्वतंत्रता की दसवीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 1957 को ऐसी देश भक्त एवं बहादुर महिला के सम्मान में भारतीय डाक विभाग द्वारा एक टिकट जारी किया गया । 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के शहीदों की स्मृति में 9 मई 1988 को जारी एक बहुरंगी डाक टिकट पर भी प्रसिद्ध चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन द्वारा बनाई गई महारानी लक्ष्मीबाई की पेंटिंग छपी है।

लेखक डाक टिकट संग्राहक हैं।

© मीडियाटिक

इन्हें भी पढ़िये -

सुभद्राकुमारी चौहान

वीरांगना रानी दुर्गावती

वीरांगना रानी अवन्तीबाई

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



वीरांगना रानी दुर्गावती
डाक टिकटों पर मध्यप्रदेश की महिला विभूतियाँ

वीरांगना रानी दुर्गावती

वीरांगना रानी दुर्गावती, रथ और महोबा के चंदेलवंशी राजा शालीवाहन की पुत्री थीं । उनका विवाह गोंडवाना राज्य के शासक दलपत श...

रानी रूपमती जिसने की थी रागिनी भूप कल्याण की रचना
मध्यप्रदेश के इतिहास में महिलाएं

रानी रूपमती जिसने की थी रागिनी भूप कल्याण की रचना

मालवा की रानी रूपमती और उसके पति सुल्तान बाज बहादुर की प्रणय गाथा आज भी माण्डू दुर्ग के अवशेषों में प्रतिध्वनित होती है।

भोपाल रियासत का पहली बार सीमांकन करवाया था सिकंदर बेगम ने
भोपाल की नवाब बेगमें

भोपाल रियासत का पहली बार सीमांकन करवाया था सिकंदर बेगम ने

सिकन्दर बेगम ने बड़ी बहादुरी और योग्यता के साथ भोपाल रियासत का प्रशासन सम्हाला। राजस्व की वसूली ठेके की पद्धति से करने क...

रानी अवंती  बाई जिनकी शहादत आज भी है एक राज
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

रानी अवंती बाई जिनकी शहादत आज भी है एक राज

रामगढ़ की रानी अवंती बाई ने वीरांगना लक्ष्मीबाई की तरह विदेशी सत्ता के विरुद्ध बगावत का झण्डा उठाया और 1857 के प्रथम स्...

शाहजहां  बेगम -जिन्होंने भोपाल को पहला जनाना अस्पताल और को एड स्कूल दिया
भोपाल की नवाब बेगमें

शाहजहां बेगम -जिन्होंने भोपाल को पहला जनाना अस्पताल और को एड स्कूल दिया

शाहजहां बेगम के शासन काल की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है- पहले इटारसी से भोपाल तक रेल मार्ग का निर्माण। इसके लिए उन्होंने राज...

भित्ति चित्रों में स्त्री
पुरातत्त्व में नारी पात्र

भित्ति चित्रों में स्त्री

• वेदप्रकाश नगायच प्राचीन बाघ गुफाओं के भित्ति चित्रों के पश्चात दीर्घ अन्तराल तक चित्रांकन के अवशेष प्राप्त नहीं होते...