पति से तलाक लिए बगैर लिव इन में नहीं रह सकती

blog-img

पति से तलाक लिए बगैर लिव इन में नहीं रह सकती
विवाहित महिला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहित महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि विवाहित महिला पति से तलाक लिए बिना किसी और के साथ लिव इन में नहीं रह सकती। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह फैसला मंगलवार को सुनाया है।

जानकारी के मुताबिक, एक महिला ने सुरक्षा की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे जस्टिस रेनू अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सिरे से खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बगैर तलाक विवाहिता लिव इन में नहीं रह सकती है, ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी।

कोर्ट ने कहा है कि कानून के विरुद्ध संबंधों को अदालत का समर्थन नहीं मिल सकता। हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत यदि पति-पत्नी जीवित है और तलाक नहीं लिया गया है तो दूसरी शादी नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा, पहले से शादीशुदा के संबंधों को अदालत से समर्थन मिला तो समाज में अराजकता फैल जाएगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की पूजा कुमारी व अन्य की लिव-इन रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका दो हजार रुपये हर्जाने लगाते हुए खारिज कर दी है।

याचीगण का कहना था कि एसपी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर हाई कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई है। विपक्षी द्वितीय (याची की पत्नी) अनीता कुमारी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड पेश कर कहा कि वह उसकी शादीशुदा पत्नी है। यह भी बताया गया कि प्रथम याची पुष्पेंद्र की पत्नी है। किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है। प्रथम याची दो बच्चों की मां है और याची दो के साथ संबंध में रह रही है। कोर्ट ने इसे विधि विरूद्ध माना और सुरक्षा देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।

संदर्भ स्रोत : दैनिक जागरण 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



राजस्थान हाईकोर्ट : शादी की पवित्रता नष्ट नहीं हो, इसलिए रद्द की
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : शादी की पवित्रता नष्ट नहीं हो, इसलिए रद्द की

कहा- शादी पवित्र बंधन, दोनों ने विवाह किया, सुखी जीवन में खलल नहीं डाल सकते

उड़ीसा हाईकोर्ट : : दूसरी शादी से पैदा होने वाले
अदालती फैसले

उड़ीसा हाईकोर्ट : : दूसरी शादी से पैदा होने वाले , बच्चों को भी पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार

कोर्ट ने कहा- दूसरी शादी से पैदा हुए बच्चों को संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता. यह फैसला भविष्य में ऐसे कई विवादों को...

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट :  पति का वैवाहिक
अदालती फैसले

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट :  पति का वैवाहिक , बंधन से बाहर संबंध पत्नी के साथ क्रूरता

कहा – पति का यह व्यवहार वैवाहिक जीवन में दरार डालने के लिए पर्याप्त

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दाखिल करने का समझौता पति-पत्नी
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : तलाक दाखिल करने का समझौता पति-पत्नी , के अलग रहने की वास्तविकता को समाप्त नहीं करता

सुप्रीम कोर्ट का यह स्पष्टीकरण सुनिश्चित करता है कि तलाक के मामलों में कानूनी प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन हो।

सुप्रीम कोर्ट : दहेज पीड़िता द्वारा  पति के रिश्तेदारों को
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : दहेज पीड़िता द्वारा  पति के रिश्तेदारों को , अनावश्यक रूप से घसीटना गलत प्रवृत्ति

सास-ससुर के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला खारिज करते हुए इस तरह की बढ़ती प्रवृत्ति पर जताई चिंता