छाया: दैनिक भास्कर
पिछले दिनों उज्जैन के विधि महाविद्यालय के सहायक प्रोफेसर पर हुए हमले में अपनी जान की बाजी लगा देने वाली प्राचार्य अरुणा सेठी के हौसले और सूझबूझ से एक बड़ी दुर्घटना होने से टल गई। दरअसल कॉलेज में अलग-अलग पारियों में एलएलबी, बीएएलएलबी, एलएलएम की परीक्षाएं चल रही हैं। असि. प्रोफेसर ईश्वर नारायण शर्मा ने कुछ छात्रों को परीक्षा कक्ष में मोबाइल ले जाने से मना किया। इससे वे नाराज़ हो गए और परीक्षा के बाद घर जाते समय उन पर हमला कर दिया। प्रोफेसर पर अचानक हुए इस हमले को देखकर पास से ही गुजर रहीं अरुणा सेठी जान की परवाह किए बगैर बदमाशों से भिड़ गईं। इसके बाद हमलावर उन्हें छोड़कर भाग निकले। प्राचार्य की इस बहादुरी के कारण प्रो शर्मा को ज़्यादा चोट नहीं आई, हालांकि उन्हें दाहिनी आंख, मुंह और सिर में चोट लगी है। श्रीमती सेठी अगर वक़्त पर नहीं आतीं तो कुछ भी हो सकता था।
बास्केटबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकीं 59 वर्षीया श्रीमती सेठी ने बताया कि बदमाशों से उलझने का फ़ैसला उन्होंने उसी वक़्त किया था। दोनों बदमाश प्रो शर्मा को लात-घूंसे मारने लगे तो मुझे लगा कि दोनों उन्हें मार डालने की नीयत से आए हैं। मेरी आंखों के सामने हाल ही में इंदौर में विमुक्ता शर्मा के साथ हुआ हादसा तैर गया। अनहोनी की आशंका को देखते हुए मैं बदमाशों से भिड़ गई। इसी बीच मैंने एक युवक को पकड़कर पीछे किया। ज़मीन पर गिरे प्रोफेसर को अपने हाथों से आड़ देकर बदमाशों को मारने से रोका। इसी बीच कॉलेज के प्रोफेसर हर्षवर्धन यादव, देवेंद्र प्रताप सिंह, असीम कुमार शर्मा, कलीम अहमद खान भी बीच-बचाव करने आ गए। श्रीमती सेठी ने करीब 10 मिनट तक दोनों बदमाशों का सामना किया। मकसद में सफल नहीं होता देख दोनों वहां से भाग निकले। अब हर कोई श्रीमती सेठी की हिम्मत और साहस की सराहना कर रहा है। पुलिस ने भी इस मामले में बदमाशों को सबक सिखाने वाली प्रिंसिपल के हौसले की तारीफ की है।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
संपादन : मीडियाटिक
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