जन्म दिनांक : 17 फरवरी, जन्म स्थान : नागदा, मप्र
माता : श्रीमती संगीता दुबे, पिता : श्री गोपाल दुबे
शिक्षा : मुंबई विश्वविद्यालय से मास मीडिया में स्नातक, डिप्लोमा इन एक्टिंग (एनएसडी -नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा)
व्यवसाय : अभिनय
करियर यात्रा/जीवन यात्रा : भोपाल के नामी रंगमंच कलाकार श्री गोपाल दुबे और श्रीमती संगीता दुबे की बेटी भूमिका को बचपन से ही अभिनय का शौक रहा. भोपाल में ही अभिनय का कखग सीखा और यहीं से रंगमंच की शुरुआत हुई. करियर के लिए भूमिका ने मास मीडिया चुना और मुंबई यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, लेकिन रंगमंच के प्रति रुझान के चलते पढ़ाई के साथ थिएटर भी करती रहीं। पृथ्वी थिएटर में मानव कौल और दूसरे समूहों के साथ रंगमंच किया। वर्ष 2012 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में दाखिला लिया। 2017 में फिर मुंबई पहुंची। मानव कौल जैसे मंजे हुए डायरेक्टर के साथ देश दुनिया में थिएटर करने के बाद भूमिका ने कई बेव सीरीज में काम किया. वर्तमान में अभिनय के साथ निर्देशन और पटकथा लेखन में संलग्न.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• संस्कृति मंत्रालय-भारत सरकार द्वारा जूनियर छात्रवृत्ति पुरस्कार 2010
• 48 विज्ञापनों, 5 व्यावसायिक और फीचर फिल्मों में अभिनय
• वेब सीरीज- जॉय घोष के निर्देशन में पहली वेब सीरीज ‘टाइपराइटर’ इसके बाद ‘फियर 0.1’’, ‘योर ऑनर 2’ , ‘द रेलवे मेन’
• फीचर फिल्म ‘शॉर्ट सर्किट'
• शॉर्ट फिल्म ‘अगला स्टेशन तुम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार
• सीसीएसए द्वारा लघु फिल्म साइकिल के लिए सर्वश्रेष्ठ छायांकन (cinematography) पुरस्कार
• नितिन कक्कड़ के निर्देशन में कृतिका कामरा के साथ फिल्म ‘मित्रों’
• फिल्म ‘मोतीचूर चकनाचूर' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की बहन हेमा की भूमिका
• फिल्म ‘बारह बाय बारह' मेलबर्न से लेकर बीजिंग तक अनेक फिल्मोत्सवों में सराही गयी
• हसीन दिलरुबा में विक्रांत मैसी के साथ महत्वपूर्ण किरदार
विदेश यात्रा : चीन
रुचियां : चित्रकारी, नृत्य
अन्य जानकारी : अभिनय के अलावा निर्देशन और निर्माण में कदम रखने वाली भूमिका की चाहत समाज के सामने छोटे शहरों की कहानियां पेश करने की है. उन्हें व्यावसायिक सिनेमा के बजाय छोटे बजट की आर्ट फिल्मों में काम करना ज़्यादा पसंद है। नेटफ्लिक्स की ‘द रेलवे मेन’ में नफ़ीसा की भूमिका में उनका अभिनय काफ़ी पसंद किया गया। ‘भूमिका थिएटर ग्रुप’ के बैनर तले उन्होंने कॉस्टिंग डायरेक्टर से लेकर निर्देशन, लेखन, प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया है। कोरोना के दौरान भोपाल आने के बाद उन्होंने शॉर्ट फिल्में 'ची पटाका दुम्पा' और 'साइकिल' की। इनमें भूमिका, सह लेखक और सह निर्माता भी थीं। उनके नाटक ‘दोहरी ज़िन्दगी’ के देशभर में अब तक 45 से ज्यादा शोज़ हो चुके हैं।