जन्म दिनांक: 30 नवम्बर, जन्म स्थान: भोपाल
माता: श्रीमती शंकुन्तला शर्मा, पिता: श्री भगवान स्वरुप शर्मा
जीवन साथी : श्री रोनी फ्रांसिस, सन्तान: पुत्री-02
शिक्षा: एमए (राजनीति शास्त्र)
व्यवसाय: लेखन/सामाजिक कार्यकर्ता
करियर यात्रा: वर्ष 1992 से 2012 तक इंदौर के निजी स्कूलों में हिंदी विषय की शिक्षिका के रूप में कार्य किया. इसी बीच घायल अवस्था में मिले स्ट्रीट डॉग्स की अवस्था से द्रवित हो नौकरी से इस्तीफा देकर उनकी देखभाल में लग गईं. तब से लेकर आज तक इन बेजुबान-बेसहारा जानवरों के लिए काम कर रही हैं. पिछले 22 वर्षों से पशु क्रूरता के लिए आवाज बुलंद करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण तथा लेखन कार्य में संलग्न.
उपलब्धियां/सम्मान
साहित्यिक गतिविधियां: नव निर्वाण लखनऊ, हम हिन्दुस्तानी, स्वदेश, काव्यांजलि पत्रिका –जयपुर, सुरभि सौरभ- भीलवाड़ा तथा अमर उजाला (रूपायन), दैनिक भास्कर एवं राजस्थान पत्रिका में कहानियाँ एवं आलेख प्रकाशित
हम हिन्दुस्तानी (यूएसए) में कहानियों का प्रकाशन
लहरा (नेपाल) पुस्तक में कहानी प्रकाशित
आकाशवाणी (इंदौर) में कहानियों का प्रसारण
सम्मान
उषा राज साहित्य अकादमी झाबुआ (मध्यप्रदेश ) से साहित्य साधक सम्मान
कार्तिकेय संस्था मुरादाबाद से पर्यावरण हितैषी सम्मान
निर्मला पाठक अवार्ड (इंदौर )
महान साहित्यकार श्री सदाशिव कौतुक जी अमृत महोत्सव समिति द्वारा सम्मानित (इंदौर )
जन मानस कल्याण संस्थान लखनऊ द्वारा सम्मानित एवं प्रमाणपत्र
श्रीश्री साहित्य सभा इंदौर द्वारा ‘कहानी शिरोमणि’ की मानक उपाधि से अलंकृत
रुचियां: संगीत, जानवरों से प्यार व उनकी सेवा
अन्य जानकारी: स्ट्रीट डॉग्स के लिए प्रतिदिन घर में 15 से 20 किलो चावल बनाकर इन जानवरों को खिलातीं हैं. घायल डॉग्स का इलाज व नसबन्दी का ऑपरेशन भी करवाती हैं. स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने के अलावा डॉक्टर की सलाह से उनका छोटा मोटा उपचार भी कर लेती हैं.