जन्म: 4 नवम्बर, स्थान: भोपाल.
माता: श्रीमती मुन्नीबाई, पिता: श्री हीरालाल.
जीवन साथी: श्री मुकेश बारिया. संतान: पुत्री-01.
शिक्षा: 9वीं. व्यवसाय: कनिष्ठ कलाकार (पथौरा चित्रकार).
करियर यात्रा: गीता बचपन में शौकिया तौर पर चित्र बनाया करती थीं, लेकिन विवाह के बाद अपनी चाची सास भूरीबाई (भील समुदाय की अग्रणी चित्रकार) की चित्रकला से अत्यन्त प्रभावित हुईं. भूरीबाई को चित्र बनाते देख बचपन की रुचि पुन: जागृत हो उठी. इन्हें भूरीबाई के रूप में गुरु का सानिध्य घर में ही मिल गया. इन्होंने पूर्ण निष्ठा से भीली चित्र सीखना शुरू किया और रंगों का उपयोग, आकारों का संयोजन बखूबी सीख लिया. इनकी पहली पेंटिंग भारत भवन में लगी. करीब 10 वर्ष पहले शुरू हुई इनकी कला यात्रा आज अनेक संभावनाओं के साथ निरंतर जारी है.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• नई दिल्ली, मुंबई सहित देश के अनेक शहरों की कला दीर्घाओं, कला मंचों, चित्र शिविरों (भारत भवन वर्कशॉप- 2010, लोक कला परिषद- 2010, हैदराबाद- 2012, प्रीतमपुरा दिल्ली हाट- 2013, अलीराजपुर झाबुआ- 2013), कोलकाता- 2013, सिलवासा- 2013, दुर्ग (छग)- 2014, भारत भवन- 2014, टाईफेट भोपाल- 2014, भारत भवन 2015, जनजातीय संग्रहालय 2020) में चित्र प्रदर्शित.
रुचियां: चित्रकला और नृत्य.
अन्य जानकारी: इनके चित्रों में मुख्यत: पारंपरिक भीली परिवेश एवं जीव-जंतुओं की लयात्मकता दिखाई देती है.