डॉ. शैली धोपे

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डॉ. शैली धोपे

shaileedhope@gmail.com

2023-01-10 23:59:42

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जन्म दिनांक : 5 दिसंबर 1968, जन्म स्थान: अमरावती.

 

माता: श्रीमती निर्मला हाण्डे. पिता: स्व. श्री व्ही.ए. हाण्डे.

 

जीवन साथी: श्री कमलेश धोपे. संतान: पुत्र -01.

 

शिक्षा: एम.एस.सी. (प्राणी शास्त्र), पी.एच.डी. (कथक नृत्य).

 

व्यवसाय: संस्थापक/संचालक- नृत्यांजलि कथक केन्द्र.

 

करियर यात्रा: बचपन से नृत्य के प्रति रुचि रखने वाली शैली जी ने शिक्षण क्षेत्र की नौकरी छोड़ नृत्य को ही अपना करियर बनाया. उन्होंने वर्ष 2000 से नृत्य सिखाना प्रारम्भ किया और बाद में नृत्यांजलि कथक केन्द्र की स्थापना की. 2 बच्चों से शुरू उनकी इस यात्रा में आज 100 से अधिक लड़कियां नृत्य प्रशिक्षण ले रही हैं. केंद्र में सामान्य बच्चों के साथ ही दिव्यांग बच्चों को नृत्य के माध्यम से जीवन की मुख्य धारा में लाने हेतु वे प्रयासरत हैं. वे पिछले 15 वर्षों से दिव्यांग बच्चों को न सिर्फ नृत्य शिक्षा दे रही हैं, बल्कि उन्हें मंच उपलब्ध करवाकर समाज को उनकी प्रतिभा से परिचय भी करवा रही है. स्पेशल और मूक-बधिर बच्चों से बात करने के लिए इन्होंने स्वयं उनकी सांकेतिक भाषा सीखने के बाद उनसे संवाद स्थापित कर उन्हें नृत्य के प्रति प्रेरित किया. नृत्यांजलि कथक केंद्र द्वारा समाज के वंचित वर्ग और दिव्यांग बच्चों को निशुल्क प्रशिक्षण के साथ ही वर्ष में 4 आयोजन किये जाते हैं, जहां विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं. उनके द्वारा प्रशिक्षित मूक बधिर बच्चे आज राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुतियां दे रहे हैं. शैली जी ने कथक में नवाचार करते हुए कथक सृजन, कथक प्रवाह, बापू के नाम, कथक कबीरा, मुक्तवेणी, सुगंधि, ट्राय की औरतें, युद्ध के विरुद्ध आदि अनेक नृत्य नाटिकाओं का मंचन राष्ट्रीय स्तर पर किया है. वे विभिन्न मंचों पर एकल नाटक ‘नाचनी’ का मंचन कर चुकी हैं.

 

उपलब्धियां/पुरस्कार:

• माय एफ.एम. द्वारा आर्ट एंड कल्चर का नेशनल अवार्ड

• नृत्य शिरोमणी अवार्ड 

• महिला दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित

• मध्यप्रदेश युवा उत्सव में बेस्ट कोरियोग्राफर अवार्ड.  

 

रुचियां: नृत्य सिखाना, पढऩा, नृत्य पर नये-नये प्रयोग करना, नाटक करना.

 

अन्य जानकारी: स्पेशल और दिव्यांग बालक-बालिकाओं के जीवन में नृत्य के माध्यम से बदलाव लाना, इनके जीवन का मुख्य ध्येय है. सम-सामयिक विषयों पर नृत्य के माध्यम से समाज में संदेश देने का कार्य कर रही हैं. इनके द्वारा प्रशिक्षित एक दिव्यांग बालक अंकित सेन को कलकत्ता मूक-बधिर बच्चों की फिल्म “पीकेडी” में काम करने का अवसर मिला. डॉ. शैली मूक-बधिर और स्पेशल बच्चों के स्कूल में जाकर भी उन्हें नृत्य सिखाती हैं, उनके कार्यक्रम आयोजित करती हैं और उनकी ड्रेस और इनाम व अन्य खर्च भी स्वयं ही वहन करती हैं.