विधि-विमर्श
मध्यप्रदेश में सामान्य तौर महिलाओं के लिए वे कानून ही प्रभावी हैं, जो केंद्रीय स्तर पर बनाए गए हैं। सुश्री उमा भारती के मुख्यमंत्रीत्व काल में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के साथ एक धारा जोड़ने के लिए मध्यप्रदेश राज्य संशोधन अधिनियम लाया गया था, जिसके बाद धारा 354 (क) बनाया गया। इसमें महिलाओं के कपड़े उतारने के अपराध पर दस साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं को नग्न करके सार्वजनिक रूप से घुमाने से संबंधित घृणित अपराध की संख्या भी ज्यादा है।
भारतीय दंड संहिता 1860 में अश्लीलता को परिभाषित नहीं किया गया है। अश्लीलता से संबंधित धाराएं 292, 293, साल 1969 में संशोधित की गई थी। इस संशोधन के माध्यम से विज्ञान साहित्य कला के उद्देश्य हेतु इन धाराओं को उदार बनाया गया है। इस धारा का को लागू करने का उद्देश्य समाज में महिलाओं के साथ लिंग आधारित अपराधों की रोकथाम है। महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह पेश करने वाले विचार को इस धारा के अंतर्गत पूर्णता प्रतिबंधित किया गया है। धारा 294 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें करेगा अथवा सार्वजानिक स्थान पर स्त्री के समीप कोई ऐसे अश्लील गाने अथवा गीत या शब्द गाएगा, सुनाएगा, उच्चारित करेगा, जिससे दूसरों को परेशानी हो तो उसे 3 महीने की साधारण या सश्रम दोनों में से किसी भी प्रकार की कारावास की सजा हो सकती है। बलात्कार को भारतीय दंड संहिता की धारा धारा 375, में बलात्संग के रूप में परिभाषित किया गया है। यह अत्यंत जघन्य अपराध है। यह अपराध भारत की प्रमुख समस्या बनकर उभरा है। भारतीय दंड संहिता में इस अपराध मे मृत्युदंड तक दंडनीय रखा गया है। पुनः इस धारा को कई उपश्रेणियों में विभाजित किया गया है जिसमें पुलिस अधिकारी, लोक अधिकारी, जेल अधिकारी, अस्पताल अधिकारी, गर्भवती महिला के सदर्भ में अलग अलग प्रावधान किये गए हैं।
इसके अलावा भारतीय दण्ड संहिता 1860 में कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराएं भी हैं जो महिलाओं पर होने वाले लैंगिक हमले की व्याख्या कर उपयुक्त दण्ड का प्रावधान करती है –
धारा 90 – सम्मति, जिसके संबंध में यह ज्ञान हो कि वह भय या भ्रम के अधीन दी गई है।
धारा 190 – दुष्प्रेरण का दंड, यदि दुष्प्रेरित कार्य उसके परिणामस्वरूप किया जाए और जहां कि उसके दंड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबंध नहीं है।
धारा 294 – अश्लील हरकत एवं अश्लील गीत गाना या शब्द बोलना।
धारा 304 (ख) – दहेज के लिए हत्या।
धारा 323 से 326 – दु:ख पहुंचाना एवं गंभीर रूप से दु:ख पहुंचाना।
धारा 354 – स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
धारा 354 (क) – कपड़े उतारने के आशय से स्त्री पर हमला या बल प्रयोग। (मध्यप्रदेश के लिए)
धारा 362 – अपहरण।
धारा 366 – विवाह आदि करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्ययहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना।
धारा 366 (क) – 18 वर्ष से कम आयु वाली अप्राप्तवय लडक़ी का उपापन।
धारा 366 (ख) – विदेश से लड़की का आयात करना।
धारा 367 – व्यक्ति की ओर से उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
धारा 368 – व्यपहृत या अपहृत व्यक्ति को सदोष छिपाना या परिरोध में रखना।
धारा 370 – दास के रूप में किसी व्यक्ति को खरीदना या व्ययन करना।
धारा 372 – वेश्यावृति आदि के प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय को बेचना या भाड़े पर देना।
धारा 373 – वेश्यावृति आदि प्रयोजनों के लिए अप्राप्तवय का खरीदना या उसका कब्जा अभिप्राप्त करना।
धारा 374 – विधिविरूद्ध अनिवार्य श्रम।
धारा 375 – बलात्संग (बलात्कार)।
धारा 376 (1) – बलात्संग पर सात से दस साल तक की सजा।
धारा 376 (2) (क) – पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्संग।
धारा 376 (2) (ख) – लोक अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ महिला के साथ बलात्संग।
धारा 376 (2) (ग) – जेल अधिकारी द्वारा बलात्संग।
धारा 376 (2) (घ) – अस्पताल अधिकारी द्वारा बलात्संग।
धारा 376 (2) (ङ) – गर्भवती महिला के साथ बलात्संग।
धारा 376 (2) (च) – 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्संग।
धारा 376 (2) (छ) – सामूहिक बलात्संग।
धारा 376 (क) – किसी भी विधि से अलग होकर रहते हुए पत्नी के साथ बलात्संग।
धारा 376 (ख) – किसी लोक अधिकारी द्वारा अभिरक्षा में महिला के साथ बलात्संग।
धारा 376 (ग) – रिमांड होम आदि जगहों पर जेल अधीक्षक द्वारा बलात्संग।
धारा 376 (घ) – अस्पताल में किसी महिला के साथ अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी द्वारा बलात्संग।
धारा 377 – प्रकृति विरूद्ध अपराध।
धारा 405 एवं 406 – विश्वास हनन।
धारा 493 से 498 – शादी संबंधी धोखाधड़ी, सहवास, क्रूरता, परिवार द्वारा मारपीट, अपमान आदि से संबंधी कानून एवं सजा।
धारा 498 (क) – दहेज के लिए परिवार एवं पति द्वारा मारपीट एवं प्रताडऩा।
धारा 509 – शब्द, अंग भंगिमा या कार्य जो किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के लिए आशयित है।
दंड प्रक्रिया संहिता की प्रमुख धाराएं
धारा 125 – इसमें भरण-पोषण देने संबंधी प्रावधान है। यह पत्नी, बच्चों के अलावा बूढ़े मां-बाप को भी प्राप्त हो सकता है, जो अपनी संतान में से किसी से भी चाहे वह शादी-शुदा हो, यह प्राप्त कर सकते हैं।
धारा 160 – महिला गवाह को यह अधिकार है कि वह अपने घर पर नजदीकी रिश्तेदार के सामने गवाही दे सके।
राष्ट्रीय महिला आयोग की कुछ अनुशंसाएं
- एक महिला तबतक एफ. आइ.आर. पर हस्ताक्षर नहीं कर सकती या उसे हस्ताक्षर के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, जब तक कि वह उसमें लिखे तथ्यों से संतुष्ट न हो जाए।
- अगर एक पुलिस अधिकारी एफ.आइ.आर. से इंकार करे, तो महिला को तत्काल अपनी शिकायत की एक कॉपी पुलिस अधीक्षक को भेजनी चाहिए।
- प्रत्येक महिला को यह अधिकार है कि यदि उसकी शिकायत पर सही कार्रवाई नहीं हो रही है, तो वह कानूनी क्रियान्वयन के लिए कोर्ट की शरण में जाए।
संपादन – मीडियाटिक डेस्क
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *