जन्म: 16 अगस्त, 1958, स्थान: नागपुर (महा.).
माता: स्व. श्रीमती सुधा स्थापक, पिता: श्री एम.के. स्थापक.
जीवन साथी: श्री अनिल चंसोरिया. संतान: पुत्र-01, पुत्री- 01,
शिक्षा: एम.ए., पी.एच.डी. व्यवसाय: उच्च शिक्षा विभाग (म.प्र. शासन) में कार्यरत.
करियर यात्रा: 01 जनवरी 1982 में उच्च शिक्षा विभाग में शा. महाराजा महाविद्यालय में व्याख्याता के रूप में प्रथम नियुक्ति, अगस्त 1982 से अगस्त 1996 तक जबलपुर शा. मानकुंवर बाई कन्या महाविद्यालय में पदस्थ, अगस्त 1996 से सितम्बर 1998 तक शा. सुभद्रा शर्मा कन्या महाविद्यालय गंजबासौदा, अक्टूबर 1998 से 15 जून 2015 तक सरोजिनी नायडू शा. कन्या महाविद्यालय भोपाल में पदस्थ, 16 जून 2016 से अभी तक प्राध्यापक इतिहास के रूप में शा.म.ल.बा. कन्या स्नातक (स्वशासी) महाविद्यालय भोपाल में सेवाएं जारी.
उपलब्धियां/पुरस्कार: स्नातक डॉ. हरिसिंह गौर विवि.सागर (1976) द्वितीय स्थान (रजत पदक), स्नातकोत्तर (एम.ए.) बरकतउल्लाह वि.वि. भोपाल (1978) द्वितीय स्थान प्राप्त, राष्ट्रीय छात्रवृत्ति स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर में प्राप्त, फैलोशिप - रायसेन जिले का इतिहास लेखन के लिए, खो-खो एवं ट्रैक एण्ड फील्ड खेल प्रतियोगिता में स्कूल एवं महाविद्यालय स्तर पर चयनित होकर संभागीय स्तर तक प्रतिनिधित्व किया, अनेक शोध आलेख प्रकाशित, राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार/वर्कशॉप में शिरकत, रेडियो पर “नमस्कार भोपाल” कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व के दिवसों एवं क्रांतिकारियों तथा राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी देने वाले महापुरुषों का व्याख्यान, दूरदर्शन पर ऐतिहासिक महत्व के विषयों पर चर्चा में भाग लिया, कुंभ मेले के अवसर पर उज्जयिनी नगरी के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा का आकाशवाणी से प्रसारण, भोज मुक्त वि.वि. के लिए प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत एवं आधुनिक भारत पर एक-एक घण्टे के 09 व्याख्यानों का दूरदर्शन पर प्रसारण, दूरस्थ शिक्षा एवं वर्चुअल कक्षाओं के संचालन हेतु स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के इतिहास विषय के पाठ्यक्रम में से चयनित विषयों का अध्यापन कार्य, सी.डी. निर्मिति (ऑडियो एवं वीडियो)- अमर शहीदों की कहानी “काला पानी”, “शक्ति स्वरूपा नारी रूपा”, म.प्र. में 1857 की क्रांति भोपाल एवं इंदौर के विशेष सन्दर्भ में, ऐतिहासिक नाटक का मंचन- “सरफरोशे वतन” युवा उत्सव कार्यक्रम अंतर्जिला स्तर पर द्वितीय स्थान, 09 छात्राओं को पी.एच.डी. की उपाधि की प्राप्ति (शोध निर्देशन), 08 छात्राओं ने लघुशोध प्रबंध की रचना की (निर्देशन), वर्तमान में शोध कार्य में अध्ययनरत 06 छात्र-छात्राओं का पंजीयन, महाविद्यालय में विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रम के प्रभारी की हैसियत से कार्य, ऐतिहासिक नृत्य नाटिका (“आम्रपाली”, “सभ्यता”) का मंचन
विदेश यात्रा: अमेरिका, भूटान, सिंगापुर, रुचियां: शैक्षणिक एवं ऐतिहासिक धरोहर एवं पर्यटन स्थलों का अवलोकन एवं भ्रमण
अन्य जानकारी: विपश्यना शिविर तथा धम्मपाल ध्यान शिविर की गतिविधियों में शामिल, पर्यावरण संरक्षण हेतु फलदार एवं छायादार वृक्षों के रोपण एवं संधारण में सहयोग, 2016 से सतत 5000 वृक्षों का रोपण.