जन्म दिनांक : 7 नवंबर, जन्म स्थान : अंजनगाव सुर्जी (महाराष्ट्र)
 
माता : श्रीमती पंचफुलाबाई शिंगोटे,  पिता : श्री रामराव जी शिंगोटे
 
पति : श्री अशोक रावनकर, सन्तान : पुत्र : 03
 
शिक्षा : एम. ए. (मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र, दो विषयों में पीएचडी : 'जयवंत दळवी यांच्या संपूर्ण साहित्याचा चिकित्सक अभ्यास' तथा "कक्षा ग्यारहवीं के विद्यार्थियों में जल प्रदूषण के प्रति जागरूकता का समीक्षात्मक अध्ययन", तीसरी पीएचडी - हिन्दी साहित्य में 'मालवी एवं वऱ्हाडी लोकगीतों का तुलनात्मक अनुशीलन' जारी, डिप्लोमा : डिप्लोमा इन योगा, डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसलिंग, डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन
 
व्यवसाय : शिक्षण (सेवानिवृत्त प्राचार्य)
 
करिअर यात्रा/जीवन यात्रा : बारहवीं से आगे की पूरी पढ़ाई शादी के बाद की. देवास में 1989 से 2013 तक स्वयं के हायर सेकेंडरी स्कूल संचालन के साथ में शासकीय महाविद्यालय में 10 वर्ष अतिथि विद्वान के रूप में कार्य किया. उपरांत अशासकीय बी.एड. महाविद्यालय में प्राचार्य के रूप में सेवाएं दीं. स्वयं के द्वारा संचालित एनजीओ के माध्यम से बालिका-शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, महिला स्वास्थ्य जैसे विभिन्न क्षेत्र में विशिष्ट कार्य किये. कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए अग्रसर होकर कार्य किया. वर्तमान में साहित्यिक, गतिविधियों के साथ-साथ देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों का इतिहास युवा छात्रों तक पहुंचाना तथा उनको प्रेरित करना, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, वीर पुरुषों के स्मरण जैसे कार्यक्रमों का संचालन तथा शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास में भाषा संबंधी कार्य जारी.
 
उपलब्धियाँ/पुरस्कार
• बी.ए. में मराठी विषय के लिए रजत पदक
• मराठी एवं दर्शनशास्त्र विषय में एम.ए.में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक
• विभिन्न प्रतिष्ठित शोध-पत्रिकाओं में 50 से अधिक शोधपत्र
• मराठी से हिन्दी तथा हिन्दी से मराठी पुस्तकों का अनुवाद
• मराठी एवं हिन्दी भाषा में कविता, लघुकथा, समीक्षा विधा में लेखन
प्रकाशित पुस्तकें 
•  बाल्यावस्था एवं बाल विकास
•  समाज, शिक्षा, पाठ्यचर्या
•  योग शिक्षा
•  योग एवं ध्यान
•  Yoga and Meditation
•  तुझ्या आठवांची गाथा (मराठी)
प्रकाशनाधीन 
•  भारतीय दर्शन की रूपरेखा
•  पाश्चात्य दर्शन
•  संज्ञानात्मक विकास
 
अन्य जानकारी : गरीब एवं प्रतिभाशाली छात्रों को अध्ययन के लिए आर्थिक, शैक्षणिक मदद करना। पर्यावरण जागरूकता संबंधी कार्य, महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना, मानसिक समस्या वाले बच्चों की काउंसलिंग लेना इत्यादि सामाजिक कार्य को वरीयता.  साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता. लुप्त हो रही बोली, भाषाओं के पुनर्जीवन हेतु कार्य. 
 
रुचियाँ : समीक्षा, सम सामायिक विषय पर रचनात्मक लेखन तथा शोध संगोष्ठी एवं कार्यशाला में प्रस्तुतीकरण