जन्म दिनांक : 17 नवम्बर, जन्म स्थान : इंदौर
माता : श्रीमती मंगला गोरे, पिता : गृत्समद गोरे
जीवन साथी : श्री विक्रम वाड, संतान : पुत्र - 02
शिक्षा : एम.ए. (भारतीय कंठ संगीत)., एम.फिल. (भारतीय कंठ संगीत) पीएचडी ( भारतीय कंठ संगीत)
व्यवसाय : सेवानिवृत्त प्राध्यापक/संगीत शिक्षक
करियर यात्रा/जीवन यात्रा : बचपन से ही संगीत के प्रति रुचि रही. यही कारण रहा कि स्कूल में 11वीं तक साइंस विषय से शिक्षा प्राप्त करने के बाद महाविद्यालय में कला संकाय को चुना और फिर वहीं पर अध्यापन करने का भी अवसर मिला. गुरु-शिष्य परम्परा के तहत स्कूल की शिक्षा के दौरान प्रारम्भ में गुरु श्रीमती मंगला जोशी और डॉ. शशिकांत ताम्बे से बाद में श्री रामदास मुंगरे, श्रीमती उषा चांदोरकर और कॉलेज में श्रीमती सुमन दांडेकर से संगीत की शिक्षा प्राप्त की. वर्ष 1983 से जीजा बाई कॉलेज में बतौर व्याख्याता अध्यापन कार्य शुरू किया. 2017 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति. अप्रैल 2023 से ‘हंसध्वनि प्रोडक्शंस’ नाम से यूट्यूब चैनल प्रारम्भ किया. वर्तमान में चैनल के माध्यम से संगीत के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• एम.ए. में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुल गीत की मुख्य गायिका तथा संगीतकार
• प्रकाशन - ‘श्रद्धा सुमन’ 2007 (गुरु श्रीमती सुमन दांडेकर द्वारा रचित 51 मराठी अभंगों का स्वरांकन)
• 20 वर्षों तक इंदौर आकाशवाणी में शास्त्रीय संगीत की कलाकार
• ‘संगीत कला विहार’-मुम्बई और ‘संगीत’ पत्रिका में लेख प्रकाशित
• शास्त्रीय संगीत के विभिन्न विषयों पर अनेक व्याख्यान
• विभिन्न सरस्वती वंदना, देशभक्ति गीत मराठी अभंग और रागों की बंदिशों को स्वरबद्ध किया
• विभिन्न शहरों में शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुतियां
• एम. फिल के छात्रों का मार्गदर्शन
• यूट्यूब चैनल पर विभिन्न विषयों जैसे आश्रय राग, धुन राग, शास्त्रीय संगीत का सामान्य ज्ञान, कल्याण के प्रकार, भैरव के प्रकार, कानडा के प्रकार, सारंग के प्रकार, मल्हार के प्रकार, तोड़ी के प्रकार, बिलावल के प्रकार, इंदौर के विभिन्न कलाकारों से संवाद आदि के सौ से अधिक वीडियो प्रसारित हो चुके हैं.
विदेश यात्रा : सिंगापुर / यूके
रुचियां : संगीत और दर्शन शास्त्र
अन्य जानकारी : एम.ए. प्रीवियस के दौरान 1981 में विवाह होने के बाद आगे की पढ़ाई और शिक्षण कार्य एक साथ किया. संगीत की विधिवत और लम्बे समय तक तालीम किसी गुरु से नहीं ले पाई. गुरुओं से जो सीखा उसी से निरंतर अभ्यास जारी रहा.
इंदौर और उज्जैन में आयोजित होने वाले मराठी कार्यक्रम में दी गई प्रस्तुति ‘दिव्यत्वाचा संस्पर्श’ बहुत लोकप्रिय रही.
कॉलेज में बतौर शिक्षक कोर्स पूरा कराने पर जोर दिया जाता था इसलिए उस वक्त जो चीजें छात्रों को नहीं सिखा पाईं, उसे अब अपने यूट्यूब चैनल ‘हंसध्वनि प्रॉडक्शंस’ के माध्यम से पूरा कर रहीं हैं. चैनल पर निरंतर वीडियो प्रसारित किये जाते हैं साथ ही हर महीने की पहली तारीख को एमए, एमफिल और पीएचडी के छात्रों के लिए एक अकादमिक व्याख्यान होता है.