जन्म दिनांक : 16 मई, जन्म स्थान : जबलपुर
पिता : स्व.आर.आर.विश्वकर्मा, माता : श्रीमती माधवी लता विश्वकर्मा
शिक्षा : स्नातक-(गायन), एम.ए (समाज शास्त्र, कथक), बीएड, डिप्लोमा-गीतांजलि (गायन), पीएचडी-कथक नृत्य का मनोवैज्ञानिक अध्यायन (अध्ययनरत)
व्यवसाय : नृत्य शिक्षिका (कथक), गायिका, संस्थापक ‘मयूरी कथक कला केंद्र’
करियर यात्रा/जीवन यात्रा : निजी और सरकारी नृत्य स्कूलों में शिक्षण कार्य का लंबा अनुभव. वर्ष 2011 से सेंट जोसेफ़ कॉन्वेंट स्कूल, जबलपुर से नृत्य शिक्षिका के रूप में कार्य की शुरुआत. इसके बाद केन्द्रीय विद्यालय जबलपुर में एक वर्ष कार्य करने के बाद वर्ष 2015 तक शारदा संगीत महाविद्यालय में पदस्थ रहीं. 2016 से '19 तक कटनी स्थित सायना म्यूजिक कॉलेज में तक लेक्चरर रहीं. वर्तमान में डी.बी. क्लब म्यूज़िक कॉलेज, जबलपुर में बतौर लेक्चरर कार्यरत और साथ ही वर्ष 2018 में जबलपुर में स्थापित स्वयं के संस्थान-मयूरी कथक कला केंद्र का संचालन. मंचीय प्रस्तुतियां भी जारी.
उपलब्धियाँ/पुरस्कार
• 2004 से ऑल इंडिया रेडियो जबलपुर में गायन (गीत और भजन)
• यूजीसी नेट उत्तीर्ण (2017)
• दूरदर्शन में ग्रेडेड आर्टिस्ट
पुरस्कार
• किरण अंतर्राष्ट्रीय नृत्य और संगीत समारोह में स्वर्ण पदक (2000)
• ‘नृत्यश्री’ पुरस्कार-किरण संगीत समारोह कटनी (2000)
• व्हीएफजे व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर द्वारा ‘ताज नृत्यश्री’ पुरस्कार (2002)
• नृत्य शिरोमणि- मोहन कार्निवाल, गोवा (2018)
• शिमला (2017) में आयोजित इंटरनेशनल म्यूज़िक फेस्टिवल -गजल गायन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, शिमला सहित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों और संगठनों से अनेक पुरस्कार प्राप्त
नृत्य प्रस्तुतियां
• दूरदर्शन केंद्र भोपाल और दिल्ली में प्रस्तुतियां
• स्कूल/कॉलेजों में कई एकल और समूह नृत्य प्रस्तुतियां
• जबलपुर में स्थानीय उत्सव और भारत में प्रतिष्ठित नृत्य समारोहों में प्रदर्शन
• नोहटा महोत्सव, नोहटा (2011), वर्धमान महोत्सव- कटक, ओडिशा (2012)
• किरण संगीत समारोह,कटनी (1999/2000)
• वर्षा महोत्सव,भोपाल के अलावा प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में एकल प्रदर्शन
रुचियां : गायन, पाक कला, ध्यान, आध्यात्मिकता
अन्य जानकारियाँ :
नृत्य और गायन कौशल: कथक केंद्र नई दिल्ली में पंडित जय कृष्ण महाराज जी से कथक, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से स्व. पी. सोमराजन से भरतनाट्यम तथा शास्त्रीय संगीत पंडित मनीष चौधरी के मार्गदर्शन में सीखा. लोकनृत्य, उप शास्त्रीय गायन में दक्षता हासिल. विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों/संगठनों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के लिए नृत्य निर्णायक के रूप में आमंत्रित. समय-समय पर विद्यालयों में नृत्य संबंधी व्याख्यान.
आर्थराइटिस के चलते कुछ वर्षों पहले दोनों पैरों की हिप जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी हो चुकी है, बावजूद इसके वे नृत्यांगना के तौर पर अपने कला व अभिनय का प्रदर्शन कर रही हैं.