जन्म दिनांक : 7 मार्च, जन्म स्थान : हातोद (जि. इंदौर)
माता: श्रीमती सुनीता मकवाना (जैन), पिता : श्री तेजप्रकाश मकवाना (जैन)
जीवन साथी : सौरभ जैन, संतान : पुत्र -01
शिक्षा : एम.एफ ए. चित्रकला/ललित कला, मिथिला कला में सर्टिफिकेट कोर्स
व्यवसाय: स्वतंत्र कलाकार और डिजाइनर/संस्थापक – 'कलारीति' फ़ाईन आर्ट्स स्टूडियो
करियर यात्रा/जीवन यात्रा : खैरागढ़ विश्वविद्यालय से ललित कला में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पिछले 22 वर्षों से कला और हस्तशिल्प के क्षेत्र में सक्रिय. वर्ष 2002 से ऑनलाइन-ऑफ़लाइन कला कार्यशालाओं का नेतृत्व कर रही हैं. साथ ही अनेक कला शिल्प परियोजनाओं में शामिल. 2001 में 'कलारीति' आर्ट स्टूडियो' की स्थापना . स्वतंत्र कलाकार के रूप में कार्य जारी.
उपलब्धियाँ/पुरस्कार
• जैन मिनिएचर, मिथिला लोक कला, फ्लोरल पेंटिंग, लैंडस्केप, थऩका आर्ट, 3 डी आर्ट, स्कल्पचर, पेंटिंग, टोट बैग बनाना, वाटर कलर सहित विभिन्न अन्य कलाओं की विशेषज्ञ
• कलारत्नम फाउंडेशन, कानपुर द्वारा बेस्ट आर्टिस्ट अवार्ड (2021)
• बहरीन (यू.ए.ई.) में ‘गल्फ वीकली’ समाचार पत्र में कलाकृति प्रकाशित (2023)
• मनु-2 इंटरनेशनल आर्ट शो झांसी में स्वर्ण पदक प्राप्त
• अंतर्राष्ट्रीय रजत श्रेणी में शीर्ष 120 कलाकारों में चयनित ( 2019)
• बड़ोदरा, मुम्बई सहित देश की प्रतिष्ठित गैलेरियों में चित्र प्रदर्शित
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कई कला प्रदर्शनियों में शिरकत जिनमें मुख्य हैं -
• रज़ा फाउंडेशन ऑफ आर्ट, भोपाल (2007)
• एकल और सामूहिक प्रदर्शनी, मुंबई (2006 , 2014, 2017 , 2019)
• होराइजन राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी भोपाल (2016)
• रंग अमीर, इंदौर (2018/2023)
• स्पंदन नेशनल आर्ट एग्जीबिशन, इंदौर (2019)
• B.A.G.इंटरनेशनल ऑनलाइन कला प्रतियोगिता
• उजास कला, आर्ट एग्जीबिशन, इंदौर (2017/19)
• भारत ललित कला अकादमी, कानपुर (2020)
• इंटरनेशनल कलारत्नम फाउंडेशन ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशन (2021)
एग्जीबिशन के लिए पेंटिंग चयनित
• International ‘Endangered Folk Art of India’ Australia. (2023)
• इंटरनेशनल खजुराहो आर्ट मार्ट, खजुराहो (2022/23)
• देवी इंटरनेशनल आर्ट एग्जीबिशन, इंदौर (2023)
• इंटरनेशनल फोक आर्ट एग्जीबिशन, चेन्नई (2023)
संग्रह
• मुंबई, इंदौर के अलावा यूके, यूएसए, दुबई आदि शहरों में कला संग्रहों में पेंटिंग्स शामिल.
विदेश यात्रा : दुबई, मॉरीशस, बैंकॉक
रुचियां : किताबें पढ़ना, संगीत सुनना, प्राचीन संग्रह देखना, पाक कला, नृत्य, यात्रा करना
अन्य जानकारी : छोटे से गाँव में पले-बढ़े होने के कारण स्कूल में कला की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली। अख़बारों में प्रकशित चित्र देखकर बनाना शुरू किया और निरंतर अभ्यास करती रहीं.चित्रकला के प्रति रुचि के चलते पहले ललित कला में स्नातक और स्नातकोत्तर किया और अब डिज़ाइनर बन कामयाबी हासिल कर रही हैं. अपने स्टूडियो के माध्यम से अब तक हजारों छात्रों को चित्रकला में पारंगत कर चुकी हैं