बिट्टू शर्मा (भटेले) 

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बिट्टू शर्मा (भटेले) 

sportiveindia@gmail.com

2023-12-11 08:03:00

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जन्म दिनांक: 15 जून, जन्म स्थान: मेरठ (उ.प्र.).

 

माता: श्रीमती शकुंतला देवी, पिता: श्री प्रेमचंद्र शर्मा.

 

जीवन साथी: श्री प्रवीण भटेले. संतान: पुत्री-01.

 

शिक्षा: स्नातकोत्तर (शारीरिक शिक्षा), भारतीय खेल प्राधिकरण में 10 वर्षीय खेल शिक्षा.

 

व्यवसाय: सी.एस.पी. (कोतवाली भोपाल), म.प्र. पुलिस.

 

करियर यात्रा: विद्यालय से कक्षा ग्यारवी तक ताइक्वांडो, कबड्डी, रस्साखीच और हॉकी राष्ट्रीय शालेय प्रतियोगिता में उ.प्र. राज्य का कप्तान गोल कीपर बनकर अन्य राज्यों की टीमों का सामना किया और कई पदक जीते. विद्यालय से विकसित नेतृत्व क्षमता ने इन्हें इंडिविजुअल खेल-जूडो की प्रेरणा दी और वर्ष 1994 में इन्होंने जूडो में राष्ट्रीय पदक जीतकर ग्वालियर (म.प्र.) के  कॉलेज लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान में प्रवेश किया. म.प्र. आकर इन्होंने राष्ट्रीय जूडो चैंपियनशिप जीती. 1997 में पहली बार अन्तराष्ट्रीय जूडो चैंपियनशिप खेलने का अवसर प्राप्त हुआ. इसके बाद भारतीय खेल प्राधिकरण, पटियाला (पंजाब) में प्रशिक्षण शुरू हुआ और फलस्वरूप वर्ष 2019 तक इनके पास अन्तर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में अनेक पदक हैं. इन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस में वर्ष 1998 में नियुक्ति पायी और वर्ष 2019 से वर्तमान में सी.एस.पी. (कोतवाली भोपाल) के पद पर पदस्थ हैं.

 

उपलब्धियां/सम्मान 

• कजाकिस्तान, वियतनाम, बेलारूस, कोरिया, चीन, जर्मनी, जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया न्यूज़ीलैण्ड, मॉरीशस और भारत में भी अपना लोहा मनवाया एवं भारत को  महिला जूडो में 18 अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता खेलकर दस पदक  दिलाये जिसमे तीन स्वर्ण पदक,  2 रजत पदक एवं 5 कांस्य पदक शामिल हैं.

• राष्ट्रीय जूडो में 12 स्वर्ण प्राप्त करके इन्होंने जूडो में विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप, एशियन चैंपियनशिप, कामनवेल्थ चैंपियनशिप खेली

• म.प्र. सरकार के सर्वोच्च खेल उत्कृष्टता पुरस्कार 'विक्रम अवार्ड' (1999) से अलंकृत किया गया.

• भारत सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा वर्ष 1999 एवं वर्ष 2005 में इन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभावान ख़िलाड़ी का नकद पुरस्कार एवं अवार्ड दिया गया.

• कुश्ती और दंगल में 'मध्यप्रदेश केसरी' अवार्ड (2001)

• कामनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप (मॉरीशस 2008) में इनके ख़िलाड़ी छात्रों द्वारा एक  स्वर्ण और एक  रजत भारत को मिला

• प्रशिक्षक होते हुए भी इन्होंने महिला वर्ग में स्वयं खेलकर भारत को एक कांस्य दिलवाया एवं म.प्र. सरकार के सर्वोच्च खेल प्रशिक्षक  उत्कृष्टता पुरस्कार 'विश्वामित्र अवार्ड' (2008) प्राप्त

•  म.प्र. पुलिस के प्रतिष्ठित 'रुस्तम जी' अवार्ड से भी नवाजा गया.

 

विदेश यात्रा: कजाकिस्तान, वियतनाम, बेलारूस, कोरिया, चीन, जर्मनी, जापान, थाईलैंड, इंडोनेशिया न्यूज़ीलैण्ड, मॉरीशस.

 

रुचियां: छोटे बच्चों से खूब बातें करना और उनके साथ छोटी पिकनिक पर जाना.

 

अन्य जानकारी: वर्तमान में बिट्टू शर्मा द्वारा भोपाल में नेत्रहीन बच्चों के लिए समर्पित आवासीय जूडो प्रशिक्षण शिविर, भोजन, शिक्षा, चिकित्सा की व्यवस्था (चार वर्ष के लिये) की गयी है. इनके नेतृत्व में नेत्रहीन खिलाड़ियों द्वारा मात्र दो वर्ष में भारत के लिए विश्वस्तर पर 4 स्वर्ण, 1 रजत और दो कांस्य पदक प्राप्त किए गए. इनके जुझारू, परिश्रमशील, अनुशासित, कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार सहयोगी जनसेवक अधिकारी के स्पष्ट छवि ने समाज पर गहरी छाप छोड़ी है. कोरोना महामारी में जन समस्या और सुरक्षा में तालमेल बिठाते हुए इन्होंने उत्कृष्ट व्यक्तित्व का परिचय दिया एवं अथक, अचूक और अटल प्रशासनिक प्रबंध किये जिसके फलस्वरूप महामारी की स्थिति नियंत्रित की गयी. श्रीमति बिट्टू शर्मा को समाज के विभिन्न अंगो द्वारा 'कोरोना वारियर' और 'शांति दूत' सम्मान दिया गया.

विशेष:- वर्ष 2018 में बड़े कारनामे: भारत के दूसरे सबसे बड़े सीरियल किलर (50+ सीरियल मर्डर) केस की ज़िम्मेदारी लेकर इन्होंने आदेश खाम्बरा और अन्य अपराधियों को गन पॉइंट पर लेकर जेल की सलाखों तक पहुंचाया. इनके अदम्य साहस और अपराधियों पर सख्ती को देखते हुए 'हिन्दुस्तान टाइम्स' सिटी लाइव नयी दिल्ली ने 3 नवम्बर 2018 को 'दबंग शर्मा' की उपाधि से देश को  परिचित कराया.