जन्म: 27 सितंबर, स्थान: ग्वालियर.
माता: श्रीमती मोहिनी जादवानी, पिता: श्री गोपीचंद जादवानी.
जीवन साथी: श्री अधीर भगवानानी. संतान: पुत्र -01, पुत्री -01.
शिक्षा: बीएससी (बायो.), एम.ए. (इकॉनोमिक), नेशनल डिप्लोमा इन फाइन आर्ट्स, विशारद- संगीत (सितार) बी म्यूज़ (शास्त्रीय संगीत), बी म्यूज़ (सितार).
व्यवसाय: चित्रकार स्वतंत्र कलाकार/संस्थापिका –रंगायन आर्ट स्टूडियो, पिंच ऑफ़ फ्लेवर इंडिया (देशी-विदेशी व्यंजन बनाना और बेचना).
करियर यात्रा: वर्ष 1986 में आर्ट होम एनजीओ की शुरुआत के साथ करियर यात्रा प्रारम्भ. इसके माध्यम से देश की प्रतिष्ठित आर्ट गैलरी में प्रदर्शनियां. इसके बाद रंगायन आर्ट स्टूडियो की स्थापना, वर्ष 2019 से ‘पिंच ऑफ़ फ्लेवर इंडिया’ का संचालन.
उपलब्धियां/पुरस्कार
• अहमदाबाद सूरत, कोलकाता और भोपाल की कला दीर्घाओं में कलाकृतियां प्रदर्शित
• अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी- रोआ आर्ट गैलरी-लंदन (2015).
एकल प्रदर्शनियां
• वर्ष 1984 से 2010 तक एकल प्रदर्शनियां नियमित रूप से छत्तीसगढ़ की एकमात्र ब्रिटिश कालीन अष्टकोणीय दीर्घा महाकौशल कला वीथिका में प्रदर्शित
• महाकौशल आर्ट गैलरी, फ्रीमेसन हॉल एंड आर्ट गैलरी म्यूज़ियम रायपुर
• स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, रायपुर (1984, 86, 87, 90, 92, 95, 98, 99, 2001, 04, 07, 08, 10, 11, 12, 14) में चित्रकला प्रदर्शित
सामूहिक प्रदर्शनियां
• बिरला एग्ज़ीबिशन, कोलकाता – (89/90)
• नेहरु आर्ट गैलेरी, भिलाई- (2010)
• बिरला एकेडमी ऑफ़ आर्ट एंड कल्चर, कोलकाता (2010)
• महाकौशल (2011)
• इंटरनेशनल आर्ट फेस्टिवल (2013)
• एएसके आर्ट गैलेरी मुंबई (2014)
• आकार- संस्कृति विभाग रायपुर (2016/17/18) आदि
• आकाशवाणी में टॉक शो का आयोजन.
सम्मान
• प्रेसिडेंट अवार्ड (स्काउट्स एंड गाइड्स- 1977),
• बेस्ट स्टूडेंट्स अवार्ड्स (फाइन आर्ट्स-महाकौशल कला परिषद- 1984)
• छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग द्वारा सम्मानित (2010)
• स्त्री शक्ति सम्मान (2014)
• महिला दिवस पर नारी शक्ति अवार्ड (2016 से 2020 तक)
संग्रह: भारत और विदेशों में कई निजी और व्यक्तिगत संग्रह.
रुचियां: चित्रकारी, तरह तरह के व्यंजन बनाना और खिलाना, तैराकी, सितार बजाना.
अन्य जानकारी: संस्कृति विभाग रायपुर द्वारा आयोजित ‘कविता का विश्व’ कार्यक्रम में एक अभिनव प्रयोग नाट्य मंचन के दौरान कविता और पेंटिंग की जुगलबंदी. वर्ष 1984 से वंचित समुदाय को पेंटिंग का प्रशिक्षण प्रदान कर रही हैं प्रतिवर्ष लगभग 200 बच्चों को (जिसमें अधिकांश बच्चे गरीब एवं आर्थिक समस्याओं के कारण अपने हुनर को पूरा कर सकने में सक्षम नहीं थे) स्वैच्छिक अध्यापन, ड्राइंग व पेंटिंग की शिक्षा. सिलसिला आज भी जारी है। मानसिक रूप से मंदबुद्धि बच्चों को भी चित्रकला सिखाने का यह क्रम निरंतर चल रहा है. रायपुर सेंट्रल जेल में बंदियों और उनके बच्चों को प्रशिक्षण देने वाली वे इकलौती महिला कलाकार हैं। आकांक्षा एवं कोपलवाणी स्वयंसेवी संस्था के मानसिक/शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को स्वैच्छिक प्रशिक्षण. गत दो वर्षों से ये देश भर के जाने-माने चित्रकारों को आमंत्रित कर स्वयं के संसाधनों के जरिये कार्यशाला का आयोजन. अध्यक्ष- आर्ट होम, रायपुर (वर्ष 1986 से), उपाध्यक्ष- राज्य संसाधन केंद्र, संयोजक (सांस्कृतिक विभाग)- छत्तीसगढ़ हार्टिकल्चर सोसायटी, उपाध्यक्ष- बैक क टू नेचर सोसायटी रायपुर, लायंस स्कूल फॉर मेंटली चैलेंज्ड बच्चों की संस्था से संबद्ध.