जन्म दिनांक: 01 मार्च 1980, स्थान: छपरा (बिहार).
माता: श्रीमती गीता देवी, पिता: स्व. सुखनंदन प्रसाद.
जीवन साथी: श्री अनुज कुमार श्रीवास्तव. संतान: पुत्र-01, पुत्री-01.
शिक्षा: डबल एम.ए. (हिन्दी साहित्य), पी.जी.-इन कम्प्यूटर.
व्यवसाय: स्वतंत्र लेखिका.
करियर यात्रा: लिखने का शौक बचपन से ही था. नंदन बाल पत्रिका में चित्र देखो, कहानी लिखो कॉलम देखकर कहानी लिखती रहती थीं. एक दिन रद्दी बेचते वक्त भाई की नजर में रफ कॉपी पर लिखे मेरे विचारों पर पड़ी. लेखन पर सभी की सराहना के बाद रुझान और अधिक बढ़ गया. लेकिन 10वीं की शिक्षा के साथ ही विवाह होने की बाद लेखन कार्य छूट गया. घर व बच्चों का दायित्व सम्हालने के साथ ही इन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की और डबल एम.ए. किया. बेटी को कंप्यूटर पढ़ाने हेतु स्वयं कंप्यूटर की शिक्षा ली औऱ एक कैश मैनजमेंट ऑफिस में एटीएम को-ऑर्डिनेटर के पद पर 10 वर्ष तक कार्य किया. समय मिलते ही फेसबुक पर कुछ-कुछ लिखती रहीं. यहाँ मिले प्रोत्साहन से अपनी रचनाएं प्रकाशन हेतु पत्र-पत्रिकाओं में भेजना प्रारम्भ किया. इनकी पहली कविता प्रसिद्ध महिला पत्रिका गृहशोभा (2008) में प्रकाशित हुई. इसके बाद गृहशोभा, सरिता, मुक्ता, कादम्बनी, मधुरिमा में रचनाओं का प्रकाशन होता रहा. पिटरबर्ग व कैनेडा के साथ देश-प्रदेश की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं व समाचार पत्र में निरंतर इनकी रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं. इनकी कविता का चयन विश्व रिकॉर्ड के लिए भी हुआ है.
उपलब्धियां/सम्मान
प्रकाशन
• एक काव्य संग्रह, आवरण शब्दों का व दर्जनों साझा संग्रह प्रकाशित.
सम्मान
• मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा 'पाण्डुलिपि पुरस्कार' सहित प्रदेश स्तर पर काव्य सृजन पर इन्हें अनेकों पुरस्कार मिले हैं.
अन्य जानकारी: परिवार में दूर-दूर तक किसी की लेखन में रुचि नहीं थी, न आसपास इन्हें कोई साहित्यिक माहौल मिला, लेकिन साहित्य के प्रति रूचि, निष्ठा व लगन से न सिर्फ लेखन कार्य में सलंग्न रहीं बल्कि अपनी अलग पहचान बनाने में भी कामयाब रहीं. रुचियां: नये-नये स्थानों की यात्रा करना, बागवानी.