डॉ. शाम्भवी शुक्ला मिश्रा

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डॉ. शाम्भवी

डॉ. शाम्भवी शुक्ला मिश्रा

shambhauvi@gmail.com यूट्यूब: shambhauvi creative foundation

2024-02-26 08:14:01

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जन्म दिनांक : 4 मई 1984. जन्म स्थान: सागर.

 

माता: डॉ. कविता शुक्ला, पिता: श्री मुन्ना शुक्ला.

 

जीवन साथी: श्री बृजेश मिश्रा.

 

शिक्षा: नृत्य प्रवीण (गोल्ड मेडल), जूनियर डिप्लोमा (तबला), स्नातक- इंग्लिश लिट्रेचर, शास्त्रीय संगीत, एम.ए. (कथक गोल्ड मेडल) तथा संस्कृत लिट्रेचर, पीएचडी (कथक) तथा नृत्य में यू.जी.सी. नेट परीक्षा उत्तीर्ण,

 

व्यवसाय: संस्थापक निदेशक- शाम्भवी क्रिएटिव फाउन्डेशन.

 

करियर यात्रा: चार वर्ष की आयु से नृत्य की शिक्षा प्रारंभ. बनारस घराने के स्व. पंडित प्रेमनारायण गुरु द्वारा कथक नृत्य की विधिवत शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् सन् 1999 से जयपुर घराने के सुप्रसिद्ध कलाकार एवं गुरू पं. राजेन्द्र गंगानी द्वारा नृत्य दीक्षा प्राप्त की. शाम्भवी उनकी प्रथम ‘गंडाबंध’ और वरिष्ठ शिष्या हैं. मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा सन् 2008 में छात्रवृत्ति तथा सी.सी.आर.टी. संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा सन् 2018 में प्रतिष्ठित कनिष्ठ अध्येतावृत्ति प्राप्त, सन् 2015 में अंतराष्ट्रीय संस्था-आई.ई.एस. में विदेशी छात्राओं को कथक की शिक्षा प्रदान की. इंदिरा कला संगीत वि.वि. खैरागढ़ छ.ग. से संबंधित टेक्निया विद्यालय एवं देश के प्रतिष्ठित कथक संस्थान ‘‘कथक-केन्द्र’’ नई दिल्ली में गुरु पद पर कार्य किया. आमंत्रित सहायक प्राध्यापक- एमेटी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, (नोएडा), अंतर्राष्ट्रीय किरण समारोह कटनी म.प्र., NPCIL कोटा राजस्थान, GNCA नई दिल्ली इत्यादि प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका.  विगत दो दशकों से कथक शिक्षा प्रदान करने में संलग्न.

 

उपलब्धियां/सम्मान 

• कथक की उत्कृष्ट पुस्तक ‘कथक-विनियोग’ प्रकाशित.

• प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में गहन शोध-परक लेख प्रकाशित.

 

सम्मान 

 • ‘संगीत समाज पुरस्कार’ टाटा नगर, जमशेदपुर (1999)

• ‘संगीत कलारत्न’ पटना, बिहार (2001)

• ‘नृत्य प्रवीण’ प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद (2003)

• 'श्रृंगारमणि’ सुर सिंगार संसद, मुम्बई (2004)

• 'सी.वी.एन. एक्सीलेंस अवार्ड' (2006)

• 'प्रतिभा सम्मान' ललित कला मंडल, म.प्र. (2008)

• 'नेशनल यूथ एक्सीलेंस अवार्ड' हेल्दी यूनिवर्स फाउंडेशन, नई दिल्ली (2010)

• 'रोटरी इंटरनेशनल एप्रिसिएशन' अवार्ड नई दिल्ली (2010)

• ‘अभिनव स्वर्ण सम्मान’ अभिनव कला परिषद, भोपाल म.प्र. (2013)

•  ‘कथक रत्न सम्मान’ विश्वमित्र परिवार संस्था, नई दिल्ली (2017)

• 'यंग एचिवर्स अवार्ड' इलाहाबाद म्युजियम संस्कृति मंत्रालय उ.प्र. (2018)

• ‘पुनर्नवा सम्मान’ म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल (2020)

• राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित मंचों पर (मांडू उत्सव, खजुराहो नृत्य उत्सव, कालीदास समारोह उज्जैन, भारत भवन भोपाल, उदयशंकर नृत्योत्सव कोलकाता, आनंदी उत्सव हुगली, राष्ट्रीय कथक संस्थान लखनऊ, वलसाड-गुजरात, मणिपुर उत्सव-इम्फाल, सुर-सिंगार मुंबई, रमादान-फेस्टीवल शाहजाद यू.ए.ई., संगीत नाटक अकादमी का फेस्टीवल ऑफ इण्डिया- वियतनाम, लंदन-यू.के. के नृत्य दौरे सहित) अनेक प्रदर्शन.

• अतिथि विद्वान के रूप में शोध पत्र वाचन और व्याख्यान हेतु विभिन्न वि.वि. आमंत्रित.

• देश की प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा कथक कार्यशालाओं के निर्देशन के लिए आमंत्रित. बुन्देलखण्ड सागर पर्यटन की ‘ब्राण्ड एम्बेसडर’. यूनेस्को इंटरनेशनल डांस काउंसिल, पेरिस की सदस्य, इरसन संस्था, नई दिल्ली की पैनल कलाकार. भारतीय ललित कला संस्थान नई दिल्ली की बोर्ड ऑफ स्टडीज की मेम्बर. दिल्ली दूरदर्शन एवं राष्ट्रीय स्तर के मंचों से ‘कलावार्ताकार’ एवं उद्घोषिका की भूमिका का निर्वहन, अनेक डॉक्यूमेंट्री फिल्मों में अभिनय.

 

विदेश यात्रा: यू.ए.ई., वियतनाम, लंदन-यू. (सांस्कृतिक यात्रा).

 

रुचियां: कला क्षेत्र में योगदान, विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजन करना एवं अभिनय.

 

अन्य जानकारी: डॉ. शाम्भवी देश की एकमात्र ऐसी नृत्यांगना हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर की मंचीय कलाकार होने के साथ-साथ यू.जी.सी.नेट परीक्षा उर्त्तीण हैं साथ ही नृत्य में डॉक्ट्रेट उपाधि प्राप्त हैं. 19 वर्ष की अल्पायु में ही दिल्ली दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार बन गईं. इनके द्वारा नृत्य में नवाचार करते हुए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहली बार शास्त्रीय नृत्य कथक में 'बुंदेली बोली' का प्रयोग किया गया. विगत तीन दशकों में इन्होंने स्वयं की मौलिक नृत्य शैली विकसित की है. इनके नृत्य प्रदर्शनों में कथक की प्राचीनता तथा आधुनिक नृत्य तकनीक का सुन्दर सम्मिश्रण दृष्टिगोचर होता है.