जन्म दिनांक 28 जून 1956, जन्म स्थान: भोपाल.
माता: श्रीमती संतोष तिवारी, पिता: श्री हरिशंकर तिवारी.
जीवन साथी: श्री शरद चंद्र शुक्ला, संतान: पुत्र– 01, पुत्री-01.
शिक्षा: स्नातकोत्तर हिंदी, पीएचडी-समाजशास्त्र (‘वर्तमान में महिलाओं की स्थिति’)
व्यवसाय: स्वतंत्र लेखिका/समाजसेविका
करियर यात्रा: हायर सेकेंडरी करने के बाद मरघटिया महावीर के मंदिर में संस्कृत गुरुकुलम के बच्चों के लिए अध्यापन कार्य किया. स्नातकोत्तर के बाद करियर स्कूल में शाम के समय प्रौढ़-शिक्षा की कक्षाएं लेना शुरू किया. समाजशास्त्र में एम.ए. करने के बाद कस्तूरबा कॉलेज में अध्यापन कार्य किया. विवाह के पश्चात जहां-जहां भी मेरे पति का स्थानांतरण होता, वहां अनाथ आश्रम के बच्चों., किशोरी बालिकाओं को शिक्षण-प्रशिक्षण, स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां, स्वच्छता और नैतिक मूल्यों की निशुल्क सेवायें देती रहीं. वर्तमान में महिला सशक्तिकरण सुदृढ़ीकरण, किशोरी बालिका प्रशिक्षण, व्यसन मुक्ति/नशा मुक्ति, नैतिक मूल्य नैतिक शिक्षा, किशोर अपराध, परिवार परामर्श कार्य में संलग्न तथा लेखन कार्य जारी.
उपलब्धियां/सम्मान
प्रकाशित कृतियां
• एकता के सुर (काव्य संग्रह-2002)
• मंजर (गजल संग्रह -2004)
• किरचे (काव्य संग्रह-2006)
• ‘स्मृति-विस्मृति’ (कहानी संग्रह -2008)
• प्राथमिक कक्षाओं के लिए ज्ञान गंगा भाग-1. सामान्य ज्ञान. भाग-2. एवं भाग-3. (वर्ष 2008/2009).
संपादित पुस्तकें-
• ‘प्रखर-मेरे सपनों का भारत’ (देशभक्ति पर आधारित काव्य संकलन)
• ‘प्रखर-समय’ (काव्य संकलन)
• ‘प्रखर-वर्तमान प्रखर-भविष्य’ (साझा काव्य संकलन)
• ‘प्रखर-वर्तमान और नैतिक मूल्य’
सम्मान
• व्यसन मुक्ति/नशा मुक्ति कार्यक्रम हेतु पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग द्वारा सम्मानित (2002 से लेकर 2009 तक लगातार)
• महिला सशक्तिकरण एवं लिंग विभेद कार्यशाला आयोजन हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सम्मानित (2005/2006)
• महिला सशक्तिकरण एवं महिला सुदृढ़ीकरण हेतु कार्य करने के लिए आरसीव्हीपी नरोन्हा प्रशासन अकादमी द्वारा सम्मानित (2004)
• किशोर बालक-बालिका शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन एवं दायित्व हेतु किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित (2008)
• मानव अधिकार संरक्षण एवं पोषण हेतु कार्यशाला/शिविर आयोजन एवं कुशल नेतृत्व हेतु सम्मानित (2012)
• ‘सर्वधर्म समभाव सर्वजन हिताय’ कार्यक्रम क्रियान्वयन हेतु रंगनाथन कृष्णा स्वामी संस्थान बेंगलुरु द्वारा सम्मानित (2014)
• अंतरराष्ट्रीय विश्व मंच हिंदी भाषा सेवी सम्मान (2017)
रुचियां: लेखन, समाज कार्य.
अन्य जानकारी:
• लेखन की विधाएं- गीत-गजल, कविता, लघुकथा-कहानी, निबंध, आलेख, यात्रा वृतांत, नाटक आदि.
• घरेलू सहायिका के बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया. उन्हें पठन सामग्री उपलब्ध करवाई तथा स्कूल में प्रवेश दिलवाया. बाद में उसने अपने आसपास के बच्चों को भी भेजना शुरू किया. उन सबको पढ़ाने के साथ-साथ प्रत्येक रविवार को 1 घंटे के लिए बाल विकास की लगने वाली कक्षा में आने वाले बच्चों के अध्ययन कार्य में शामिल रहीं. होशंगाबाद जेल में अनेक महिला कैदियों को हस्तकला कौशल का प्रशिक्षण दिया.
• इनके निरंतर प्रयासों से कैदियों के परिश्रम से अर्जित आय का आधा भाग उनके परिजनों (माता-पिता को बच्चों के भरण-पोषण के लिए) को प्राप्त होने लगा है.