जन्म 2 मार्च, स्थान: कानपुर.
माता: श्रीमती धनवती शुक्ला, पिता: राधेश्याम शुक्ला.
जीवन साथी: श्री कनक तिवारी. संतान पुत्र- 01, पुत्री- 01.
शिक्षा: गृह विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि. व्यवसाय: स्वतंत्र लेखन, (गृहणी).
जीवनयात्रा: एम.एच. कॉलेज ऑफ होम साइन्स जबलपुर (म.प्र.) से एमएचएससी (होम मैनेजमेंट) करने के बाद उसी कालेज में अध्यापन कार्य (66-69) किया. नौकरी छोडऩे के बाद अब स्वतंत्र लेखन.
उपलब्धियां/पुरस्कार: कोषाध्यक्ष-संस्कार (संस्कृति-साहित्य-कला की रचनाधर्मिता की संस्था, दुर्ग). “कहत कबीर” (कबीर) पर वैचारिक ग्रन्थ का संपादन, देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं (पहल, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, साक्षात्कार, अक्षरपर्व, लोकमत, भास्कर, नवभारत, देशबन्धु, वसुधा, कथादेश आदि) में समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित.
प्रकाशन- उपन्यास: ‘जानो तो गाथा है‘, “राधेबाबू आने वाले हैं”, कथा-उपन्यास- “नरसू की टुकुन”, कविता संग्रह- “कल मेरा दरवाजा खटखटाएगा”, “दादिंग”, ‘‘ बिन आहट’’, व्यंग्य विधा में भी लेखन, दुर्ग-भिलाई की बीस कवयित्रियों के काव्य संग्रह “ हम बीस सदी के” का सम्पादन, लेखक - फेसबुक सीरीज “हम सैण्डविच पीढ़ी के लोग हैं”, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर वार्ताएं प्रसारित, वानिकी विशेषकर बोनसाइ कला में भारत-जापान एसोसिएशन द्वारा प्रशस्ति.
विदेश यात्रा: सिंगापुर, मॉरीशस, मलेशिया, जापान, थाईलैंड, बैंकाक, हांगकांग, श्रीलंका, स्काटलैंड, इंग्लैंड, पेरिस, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, दुबई, मस्कट, बहरीन.
रुचियां: क्रिएटिव कार्य, बागवानी, गहने बनाना, पेंटिग, पढऩा, घूमना.