जन्म: 5 सितंबर, स्थान: इंदौर.
माता: श्रीमती लता ओखदे, पिता: स्व. श्री दत्तात्रेय ओखदे.
जीवन साथी: श्री डी.एस. टिकेकर, संतान: पुत्र-01, पुत्री -01.
शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी. (बुंदेलखंड की राष्ट्रीय काव्य धारा के कवि प्रभाकर श्रीखण्डे प्रेम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का अनुशीलन. व्यवसाय: प्राध्यापक (सेवानिवृत्त).
करियर यात्रा: वर्ष 1985 से शासकीय महाविद्यालय, बैतूल में सहायक प्राध्यापक हिंदी के पद पर करियर यात्रा प्रारंभ हुई. प्रारंभिक एक वर्ष बैतूल महाविद्यालय में और शेष शासकीय सेवा बीना में पूर्ण की. वर्ष 1986 में शोध कार्य प्रारंभ किया. वर्ष 1989 में सागर विश्वविद्यालय से (स्व. डॉक्टर बलभद्र तिवारी जी के मार्गदर्शन में) पीएचडी .की उपाधि प्राप्त हुई. वर्ष 2015 से 2017 के मध्य लगभग पौने 2 वर्ष महाविद्यालय में प्राचार्य का दायित्व भी निभाया. उसी दौरान जून 2016 में हुए नेक निरीक्षण में ‘सहकार्य संस्कृति’ के आधार पर महाविद्यालय को 'बी ग्रेड' प्राप्त हुआ. मई 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति.
उपलब्धियां/पुरस्कार: सम्मान- मैत्री सम्मान - गुना (2004), राजेश्वरी प्रकाशन साहित्य सम्मान- गुना (,2006), नगर रत्न समिति, बीना द्वारा नगर रत्न सम्मान (2009), निर्मल साहित्य सम्मान, सागर (2020), अनुवाद के लिए मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सप्तपर्णी सम्मान 2022, इनके अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर अनेक पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त.
प्रकाशन- हिंदी में अब तक 7 पुस्तकों का प्रकाशन जिनमें चार समीक्षा पुस्तकें- (सृजन और संवेदना, महेश कटारे ‘सुगम’ का रचना संसार, नए संचार माध्यम, बदलता विश्व), एक काव्य संग्रह (दबे पांव की आहट), दो पुस्तकों ‘फागुन’ और ‘स्पंदन’ का संपादन. 3 अनूदित काव्य संग्रह - ‘कदाचित’ मूल कवि -प्रो मणिमोहन मेहता, ‘गुलमोहर’ मूल कवि -डॉक्टर चंचला दवे तथा ‘घामाची स्वाक्षरी’ मूल कवि महेश कटारे ‘सुगम’.
रुचियां: हिंदी और मराठी में पठन, लेखन तथा हिन्दी से मराठी अनुवाद करना, शास्त्रीय संगीत सुनना. अन्य जानकारी: महाराष्ट्र समाज बीना में सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष पद पर कार्य किया. भविष्य में भाषांतर के बहाने हिंदी और मराठी भाषाओं का प्रेम पाने और संबंधित पुस्तकों के प्रकाशन का लक्ष्य.