जन्म: 23 नवम्बर, स्थान: जबलपुर.
माता: श्रीमती सुरतवंती वर्मा, पिता: श्री गणेश प्रसाद वर्मा.
जीवन साथी: श्री रमेश श्रीवास्तव.
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी, इतिहास), बी.एड., बी.ए. (पत्रकारिता).
व्यवसाय: शिक्षिका- जे.जे.टी. विश्वविद्यालय मुंबई में शोध निदेशक (सेवानिवृत्त).
करियर यात्रा: 40 वर्षों तक अध्यापन कार्य (10 वर्ष तक गोपी बिरला मेमोरियल पब्लिक स्कूल मुम्बई, 2 वर्ष तक जीडी सोमानी पब्लिक स्कूल मुंबई, 10 वर्ष तक घनश्याम दास केड़िया हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापन, 18 वर्षों तक जेजेटी विश्वविद्यालय झुंझुनू की मुंबई शाखा में शोध प्रबंधक) वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद अब भोपाल में निवासरत. मुंबई में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पत्रकारिता कार्य में संलग्न रही.
उपलब्धियां/पुरस्कार: 1970 में धर्मयुग में पहली रचना प्रकाशित. तब से लेकर अब तक 90 कहानियां तथा 1000 लेख स्त्री विमर्श, धर्म, पर्यटन पर प्रकाशित. धर्मयुग में प्रति सप्ताह 2 वर्ष तक अन्तरंग स्तम्भ का लेखन. मसि कागद के नारी विशेषांक का संपादन, “संझा” लोकस्वामी के साहित्यिक पृष्ठ का तीन वर्षों तक संपादन. विज्ञापन एजेंसी लिंटाज तथा टीवीसी में कॉपी राइटिंग, जिंगल राइटिंग. समरलोक में वर्ष 2000 से स्त्री विमर्श पर आधारित स्तम्भ “अंगना” का लेखन जारी. सम्मान- कालीदास पुरस्कार (1990), महाराष्ट्र राज्य अकादमी द्वारा मुंशी प्रेमचंद पुरस्कार (1997), साहित्य शिरोमणि पुरस्कार (2001), प्रियदर्शिनी अकादमी पुरस्कार (2004), महाराष्ट्र दलित साहित्य अकादमी पुरस्कार (2004), बसंत राव नाईक लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (2004), कथाबिम्ब पुरस्कार (2004), कमलेश्वर स्मृति पुरस्कार (2008), प्रियंका साहित्य सम्मान (2011), अंतर्राष्ट्रीय सृजनश्री सम्मान थाईलैंड (2011), अंतर्राष्ट्रीय सृजन गाथा सम्मान ताशकंद (2012), सारथी साहित्य शिरोमणि पुरस्कार (2012), लघुकथा रत्न सम्मान पटना (2012), मप्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा नारी लेखन पुरस्कार भोपाल (2014), महाराष्ट्र साहित्य अकादमी द्वारा राज्य स्तर का हिन्दी सेवा सम्मान (2014), लघुकथा सारस्वत सम्मान रांची (2014), अभियान संस्था लखनऊ द्वारा उत्तर साहित्यश्री सम्मान (2014), काशी हिन्दू विवि द्वारा दलित साहित्य सम्मान (2011), बिहार साहित्य अकादमी द्वारा महादेवी वर्मा शताब्दी सम्मान, स्टोरी मिरर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान (2016), प्रमोद वर्मा स्मृति सम्मान कंबोडिया (2013), कथा सम्मान मॉरीशस (2004), साहित्य समर्था जयपुर द्वारा शिक्षाविद पृथ्वीनाथ भान साहित्य सम्मान (2019), शिल्पी चड्ढा स्मृति साहित्यकार सम्मान, दिल्ली (2019), उर्वशी शिखर सम्मान वर्ष (2022 भोपाल). राही सहयोग संस्थान रैंकिंग - 2015 से वर्तमान में विश्व के टॉप 100 हिंदी लेखक लेखिकाओं में नाम शामिल. ‘द संडे इंडियन’ द्वारा प्रसारित 21वीं सदी की 111 हिंदी लेखिकाओं में नाम शामिल. भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्व भर के प्रकाशन संस्थानों को शोध एवं तकनीकी प्रयोग (इलेक्ट्रॉनिक्स) हेतु देश की उच्चस्तरीय पुस्तकों के अंतर्गत ‘मालवगढ़ की मालविका’ उपन्यास का चयन. वर्ल्ड लिटरेरी फोरम फॉर पीस एंड ह्यूमन राइट्स, भूटान द्वारा इंटरनेशनल एंबेसेडर ऑफ पीस का स्टेटस. SRM विश्वविद्यालय चेन्नई के बीए के कोर्स में कहानी ‘एक मुट्ठी आकाश’. महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक राज्य के 32 महाविद्यालयों के सरल हिंदी पाठ्यक्रम में कहानी ‘शहतूत पक गये’ तथा लघुकथाएं महाराष्ट्र राज्य बोर्ड के 11वीं की बालभारती में शामिल. वर्ल्ड लिटरेरी फोरम फॉर पीस एंड ह्यूमन राइट्स, भूटान द्वारा इंटरनेशनल एंबेसेडर ऑफ पीस का स्टेटस दिया है. राही रैंकिग संस्थान द्वारा 2015 से अब तक विश्व के वर्तमान में सौ टॉप लेखकों में नाम शामिल.
प्रकाशन- कथा संग्रह (5)- बहके बसँत तुम, बहते ग्लेशियर, प्रेम सम्बन्धों की कहानियाँ, आसमानी आँखों का मौसम और अमलतास तुम फूले क्यों. उपन्यास (6)- मालवगढ़ की मालविका, दबे पाँव प्यार, टेम्स की सरगम, ख्वाबों के पैरहन (संयुक्त उपन्यास), लौट आओ दीपशिखा, कैथरीन और नागाओं का रहस्य. अन्य- फागुन का मन (ललित निबंध संग्रह), मुझे जन्म दो माँ (स्त्री विमर्श), नीले पानियों की शायराना हरारत (यात्रा संस्मरण), करवट बदलती सदी, आमची मुंबई (मुम्बई का परिवेश), तुमसे मिलकर (कविता संग्रह), पथिक तुम फिर आना (यात्रा संस्मरण), रूबरू हम तुम (साक्षात्कार संग्रह), मेरे घर आना जिंदगी (आत्मकथा), मुस्कुराती चोट (लघुकथा संग्रह). अन्य भाषाओं में अनुदित पुस्तकें- बहके बसँत तुम (मराठी), बहते ग्लेशियर (ओडिया), टेम्स की सरगम (अँग्रेज़ी -Romancing The Thams), ख्वाबों के पैरहन (उर्दू), अन्य कहानियों के अँग्रेज़ी,तमिल, गुजराती, बंगाली में अनुवाद. 12 प्रतिनिधि कहानियों का रानी मोटवानी द्वारा अंग्रेजी (Darling you are on the other side) में अनुवाद.
विदेश यात्रा: जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, नींदरलैंड, बेल्जियम, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, रोम, वाशिंगटन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, स्विटज़रलैंड, जापान, थाईलैंड, उजबेकिस्तान, वियतनाम, ऑस्ट्रिया, कंबोडिया, दुबई, रूस, भूटान, मिस्र की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्राएं.
रुचियां: लेखन, पर्यटन, समाजसेवा, अभिनय, नृत्य.
अन्य जानकारी: कहानी “सैलाब” तथा “गलत पता” पर बनी टेलीफ़िल्म का दूरदर्शन से प्रसारण. यवतमाल संत गांडगे बाबा अमरावती वि.वि. से कुमारी स्वाति दत्तात्रेय सरकटे द्वारा इनकी कहानियों पर पीएचडी. आत्मकथा “मेरे घर आना जिंदगी” के कथ्य एवं शिल्प का विवेचनात्मक अध्ययन सहित एसएनडीटी महिला महाविद्यालय, मुम्बई तथा मुम्बई विश्वविद्यालय, डॉ. अम्बेडकर कॉलेज आगरा, राज ऋषि भर्तहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर राजस्थान, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आदि विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा इनके साहित्य पर एम.फिल तथा पीएचडी. राही सहयोग संस्थान रैकिंग 2018, 2019 तथा 2020 में वर्तमान में विश्व के टॉप 100 हिन्दी लेखिकाओं में नाम शामिल. हेमंत फाउंडेशन की स्थापना जिसके अंतर्गत वर्ष 1998 से विजय वर्मा कथा सम्मान एवं हेमंत स्मृति कविता सम्मान का आयोजन, हेमंत फाउंडेशन द्वारा पुस्तकों का लोकार्पण, कवि सम्मेलन, कहानी पाठ का समय-समय पर आयोजन, विभिन्न सामाजिक संस्थाओं तथा राज्य सरकार के सहयोग से आदिवासी महिलाओं को साक्षर बनाने तथा उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिये भारत के विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों का दौरा, समाज कल्याण बोर्ड एवं विमन नेटवर्क लिमिटेड दिल्ली द्वारा आयोजित महिला पत्रकारों केराष्ट्रीय सम्मेलन में महाराष्ट्र की ओर से प्रतिनिधित्व, मॉरीशस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समकालीन साहित्य सम्मेलन में भारत की ओर से शिरकत, अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच संस्था की संस्थापक/अध्यक्ष जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का वर्ष 2013 से आयोजन. विश्वमैत्री मंच की संस्थापक-अध्यक्ष जिसके तहत हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन आयोजित करती हैं. पुत्र हेमंत की स्मृति में हेमंत फाउंडेशन की स्थापना कर प्रतिवर्ष हेमंत स्मृति कविता सम्मान का आयोजन.
समाजसेवा- मुंबई के उपनगर अंधेरी स्थित झोपड़ पट्टियों में छठी से दसवीं क्लास तक के बच्चों को लगातार 7 वर्षों तक शिक्षित किया. भोपाल के अव्यांश नामक दिव्यांग आश्रम में समय-समय पर सेवाएं दीं.